Sutra Navigation: Samavayang ( समवयांग सूत्र )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 1003376 | ||
Scripture Name( English ): | Samavayang | Translated Scripture Name : | समवयांग सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
समवाय प्रकीर्णक |
Translated Chapter : |
समवाय प्रकीर्णक |
Section : | Translated Section : | ||
Sutra Number : | 276 | Category : | Ang-04 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] एएसि णं चउवीसाए तित्थकराणं चउवीसं सीया होत्था, तं जहा– | ||
Sutra Meaning : | इन चौबीस तीर्थंकरों की चौबीस शिबिकाएं (पालकियाँ) थीं। (जिन पर बिराजमान होकर तीर्थंकर प्रव्रज्या के लिए वन में गए।) जैसे – १. सुदर्शना शिबिका, २. सुप्रभा, ३. सिद्धार्था, ४. सुप्रसिद्धा, ५. विजया, ६. वैजयन्ती, ७. जयन्ती, ८. अपराजिता, ९. अरुणप्रभा, १०. चन्द्रप्रभा, ११. सूर्यप्रभा, १२. अग्निप्रभा, १३. सुप्रभा, १४. विमला, १५. पंचवर्णा, १६. सागरदत्ता, १७. नागदत्ता, १८. अभयकरा, १९. निर्वृत्तिकरा, २०. मनोरमा, २१. मनोहरा, २२. देवकुरा, २३. उत्तरकुरा और २४. चन्द्रप्रभा। ये सभी शिबिकाएं विशाल थीं। सर्वजगत् – वत्सल सभी जिनवरेन्द्रों की ये शिबिकाएं सर्व ऋतुओं में सुख – दायिनी उत्तम और शुभ कान्ति से युक्त होती हैं। सूत्र – २७६–२८० | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] eesi nam chauvisae titthakaranam chauvisam siya hottha, tam jaha– | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Ina chaubisa tirthamkarom ki chaubisa shibikaem (palakiyam) thim. (jina para birajamana hokara tirthamkara pravrajya ke lie vana mem gae.) jaise – 1. Sudarshana shibika, 2. Suprabha, 3. Siddhartha, 4. Suprasiddha, 5. Vijaya, 6. Vaijayanti, 7. Jayanti, 8. Aparajita, 9. Arunaprabha, 10. Chandraprabha, 11. Suryaprabha, 12. Agniprabha, 13. Suprabha, 14. Vimala, 15. Pamchavarna, 16. Sagaradatta, 17. Nagadatta, 18. Abhayakara, 19. Nirvrittikara, 20. Manorama, 21. Manohara, 22. Devakura, 23. Uttarakura aura 24. Chandraprabha. Ye sabhi shibikaem vishala thim. Sarvajagat – vatsala sabhi jinavarendrom ki ye shibikaem sarva rituom mem sukha – dayini uttama aura shubha kanti se yukta hoti haim. Sutra – 276–280 |