Sutra Navigation: Sthanang ( स्थानांग सूत्र )

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Sr No : 1002327
Scripture Name( English ): Sthanang Translated Scripture Name : स्थानांग सूत्र
Mool Language : Ardha-Magadhi Translated Language : Hindi
Chapter :

स्थान-४

Translated Chapter :

स्थान-४

Section : उद्देशक-२ Translated Section : उद्देशक-२
Sutra Number : 327 Category : Ang-03
Gatha or Sutra : Sutra Sutra Anuyog :
Author : Deepratnasagar Original Author : Gandhar
 
Century : Sect : Svetambara1
Source :
 
Mool Sutra : [सूत्र] नंदीसरवरस्स णं दीवस्स चक्कवाल-विक्खंभस्स बहुमज्झदेसभागे चउद्दिसिं चत्तारि अंजनगपव्वता पन्नत्ता, तं जहा– पुरत्थिमिल्ले अंजनगपव्वते, दाहिणिल्ले अंजनगपव्वते, पच्चत्थिमिल्ले अंजनगपव्वते, उत्तरिल्ले अंजनगपव्वते। ते णं अंजनगपव्वता चउरासीति जोयणसहस्साइं उड्ढं उच्चत्तेणं, एगं जोयणसहस्सं उव्वेहेणं, मूले दसजोयणसहस्सं उव्वेहेणं, मूले दस-जोयणसहस्साइं विक्खंभेणं, तदणंतरं च णं मायाए-मायाए परिहायमाणा-परिहायमाणा उवरिमेगं जोयणसहस्सं विक्खंभेणं पन्नत्ता मूले इक्कतीसं जोयणसहस्साइं छच्च तेवीसे जोयणसते परिक्खेवेणं, उवरिं तिन्नि-तिन्नि जोयणसहस्साइं एगं च बावट्ठं जोयणसतं परिक्खेवेणं। मूले विच्छिण्णा मज्झे संखेत्ता उप्पिं तणुया गोपुच्छसंठाणसंठिता सव्वअंजणमया अच्छा ‘सण्हा लण्हा’ घट्ठा मट्ठा नीरया निम्मला निप्पंका निक्कंडच्छाया सप्पभा समिरीया सउज्जोया पासाईया दरिसणीया अभिरूवा पडिरूवा। तेसि णं अंजनगपव्वयाणं उवरिं बहुसमरमणिज्जा भूमिभागा पन्नत्ता। तेसि णं बहुसमरमणिज्जाणं भूमिभागाणं बहुमज्झदेसभागे चत्तारि सिद्धायतणा पन्नत्ता। ते णं सिद्धायतणा एगं जोयणसयं आयामेणं, पण्णासं जोयणाइं विक्खंभेणं, बावत्तरि जोयणाइं उड्ढं उच्चत्तेणं। तेसि णं सिद्धायतणाणं चउदिसिं चत्तारि दारा पन्नत्ता, तं जहा–देवदारे, असुरदारे, णागदारे, सुवण्णदारे। तेसु णं दारेसु चउव्विहा देवा परिवसंति, तं जहा–देवा, असुरा, नागा, सुवण्णा। तेसि णं दाराणं पुरओ चत्तारि मुहमंडवा पन्नत्ता। तेसि णं मुहमंडवाणं पुरओ चत्तारि पेच्छाघरमंडवा पन्नत्ता। तेसि णं पेच्छाघरमंडवाणं बहुमज्झदेसभागे चत्तारि वइरामया अक्खाडगा पन्नत्ता। तेसि णं वइरामयाणं अक्खाडगाणं बहुमज्झदेसभागे चत्तारि मणिपेढियातो पन्नत्ताओ। तासि णं मणिपेढिताणं उवरिं चत्तारि सीहासणा पन्नत्ता। तेसि णं सीहासणाणं उवरिं चत्तारि विजयदूसा पन्नत्ता। तेसि णं विजयदूसगाणं बहुमज्झदेसभागे चत्तारि वइरामया अंकुसा पन्नत्ता। तेसु णं वइरामएसु अंकुसेसु चत्तारि कुंभिका मुत्तादामा पन्नत्ता। ते णं कुंभिका मुत्तादामा पत्तेयं-पत्तेयं अन्नेहिं तदद्धउच्चत्त-पमाणमित्तेहिं चउहिं अद्धकुंभिक्केहिं मुत्तादामेहिं सव्वतो समंता संपरिक्खित्ता। तेसि णं पेच्छाघरमंडवाणं पुरओ चत्तारि मणिपेढियाओ पन्नत्ताओ। तासि णं मणिपेढियाणं उवरिं चत्तारि-चत्तारि चेइयथूभा पन्नत्ता। तेसि णं चेइयथूभाणं पत्तेयं-पत्तेयं चउद्दिसिं चत्तारि मणिपेढियाओ पन्नत्ताओ। तासि णं मणिपेढियाणं उवरिं चत्तारि जिणपडिमाओ सव्वरयनामईओ संपलियंकणिसण्णाओ थूभाभिमुहाओ चिट्ठंति, तं जहा – रिसभा, वद्धमाणा, चंदाणणा, वारिसेणा। तेसि णं चेइयथूभाणं पुरओ चत्तारि मणिपेढियाओ पन्नत्ताओ। तासि णं मणिपेढियाणं उवरिं चत्तारि चेइयरुक्खा पन्नत्ता। तेसि णं चेइयरुक्खाणं पुरओ चत्तारि मणिपेढियाओ पन्नत्ताओ। तासि णं मणिपेढियाणं उवरिं चत्तारि महिंदज्झया पन्नत्ता। तेसि णं महिंदज्झयाणं पुरओ चत्तारि नंदाओ पुक्खरिणीओ पन्नत्ताओ। तासि णं पुक्खरिणीणं पत्तेयं-पत्तेयं चउदिसिं चत्तारि वनसंडा पन्नत्ता, तं जहा–पुरत्थिमे णं, दाहिणे णं, पच्चत्थिमे णं, उत्तरे णं।
Sutra Meaning : वलयाकार विष्कम्भ वाले नन्दीश्वर द्वीप के मध्य चारों दिशाओं में चार अंजनक पर्वत हैं। यथा – पूर्व में, दक्षिण में, पश्चिम में और उत्तर में। वे अंजनक पर्वत ८४,००० योजन ऊंचे हैं और एक हजार योजन भूमि में गहरे हैं। उन पर्वतों के मूल का विष्कम्भ दस हजार योजन का है। फिर क्रमशः कम होते होते ऊपर का विष्कम्भ एक हजार योजन का है। उन पर्वतों की परिधि मूल में इकतीस हजार छसो तेईस योजन की है। फिर क्रमशः कम होते होते ऊपर की परिधि तीन हजार एक सौ छासठ योजन की है। वे पर्वत मूल में विस्तृत, मध्य में संकरे और ऊपर पतले अर्थात्‌ गो पुच्छ की आकृति वाले हैं। सभी अंजनक पर्वत अंजन रत्नमय हैं, स्वच्छ हैं, कोमल हैं, घुटे हुए और घिसे हुए हैं। रज, मल और कर्दम रहित हैं। अनिन्द्य सुषमा वाले हैं, स्वतः चमकने वाले हैं। उनसे किरणें नीकल रही हैं, अतः उद्योतित हैं। वे प्रासादीय, दर्शनीय हैं, मनोहर एवं रमणीय हैं। उन अंजनक पर्वतों का ऊपरीतल समतल है। उन समतल उपरीतलों के मध्य भाग में चार सिद्धायतन हैं। उन सिद्धायतनों की लम्बाई एक सौ योजन की है, चौड़ाई पचास योजन की है और ऊंचाई बहत्तर योजन की है। उन सिद्धायतनों की चार दिशाओं यथा – देवद्वार, असुरद्वार, नागद्वार और सुपर्णद्वार। उन द्वारों पर चार प्रकार के देव रहते हैं। यथा – देव, असुर, नाग और सुपर्ण। उन द्वारों के आगे चार मुखमण्डप हैं। उन मुखमण्डपों के आगे चार प्रेक्षाधर मण्डप हैं। उन प्रेक्षाघर मण्डपों के मध्य भाग में चार वज्रमय अखाड़े हैं। उन वज्रमय अखाड़ों के मध्य भाग में चार मणिपीठिकाएं हैं। उन मणिपीठिकाओं के ऊपर चार सिंहासन हैं। उन सिंहासनों पर चार विजयदूष्य हैं। उन विजयदूष्यों के मध्यभाग में चार वज्रमय अंकुश हैं। उन वज्रमय अंकुशों पर लघु कुंभाकार मोतीयों की चार मालाएं हैं। प्रत्येक माला अर्ध – प्रमाण वाली चार – चार मुक्तामालाओं से घिरी हुई हैं। उन प्रेक्षाघर मण्डपों के आगे चार मणिपीठिकाएं हैं। उन मणिपीठिकाओं पर चार चैत्य स्तूप हैं। प्रत्येक चैत्य स्तूपों की चारों दिशाओं में चार – चार मणिपीठिकाएं हैं। प्रत्येक मणिपीठिका पर पल्यंकासन वाली स्तूपा – भिमुख सर्व रत्नमय चार जिनप्रतिमाएं हैं। उनके नाम – रिषभ, वर्धमान, चन्द्रानन और वारिषेण। उन चैत्यस्तूपों के आगे चार मणिपीठिकाओं पर चार चैत्यवृक्ष हैं। उन चैत्यवृक्षों के सामने चार मणिपीठिकाएं हैं। उन मणिपीठि – काओं पर चार महेन्द्र ध्वजाएं हैं। उन महेन्द्र ध्वजाओं के सामने चार नंदा पुष्करणियाँ हैं। प्रत्येक पुष्करिणी की चारों दिशाओं में चार वन खंड हैं। पूर्व में अशोक वन, दक्षिण में सप्तपर्ण वन, पश्चिम में चम्पक वन और उत्तर में आम्रवन। सूत्र – ३२७, ३२८
Mool Sutra Transliteration : [sutra] namdisaravarassa nam divassa chakkavala-vikkhambhassa bahumajjhadesabhage chauddisim chattari amjanagapavvata pannatta, tam jaha– puratthimille amjanagapavvate, dahinille amjanagapavvate, pachchatthimille amjanagapavvate, uttarille amjanagapavvate. Te nam amjanagapavvata chaurasiti joyanasahassaim uddham uchchattenam, egam joyanasahassam uvvehenam, mule dasajoyanasahassam uvvehenam, mule dasa-joyanasahassaim vikkhambhenam, tadanamtaram cha nam mayae-mayae parihayamana-parihayamana uvarimegam joyanasahassam vikkhambhenam pannatta mule ikkatisam joyanasahassaim chhachcha tevise joyanasate parikkhevenam, uvarim tinni-tinni joyanasahassaim egam cha bavattham joyanasatam parikkhevenam. Mule vichchhinna majjhe samkhetta uppim tanuya gopuchchhasamthanasamthita savvaamjanamaya achchha ‘sanha lanha’ ghattha mattha niraya nimmala nippamka nikkamdachchhaya sappabha samiriya saujjoya pasaiya darisaniya abhiruva padiruva. Tesi nam amjanagapavvayanam uvarim bahusamaramanijja bhumibhaga pannatta. Tesi nam bahusamaramanijjanam bhumibhaganam bahumajjhadesabhage chattari siddhayatana pannatta. Te nam siddhayatana egam joyanasayam ayamenam, pannasam joyanaim vikkhambhenam, bavattari joyanaim uddham uchchattenam. Tesi nam siddhayatananam chaudisim chattari dara pannatta, tam jaha–devadare, asuradare, nagadare, suvannadare. Tesu nam daresu chauvviha deva parivasamti, tam jaha–deva, asura, naga, suvanna. Tesi nam daranam purao chattari muhamamdava pannatta. Tesi nam muhamamdavanam purao chattari pechchhagharamamdava pannatta. Tesi nam pechchhagharamamdavanam bahumajjhadesabhage chattari vairamaya akkhadaga pannatta. Tesi nam vairamayanam akkhadaganam bahumajjhadesabhage chattari manipedhiyato pannattao. Tasi nam manipedhitanam uvarim chattari sihasana pannatta. Tesi nam sihasananam uvarim chattari vijayadusa pannatta. Tesi nam vijayadusaganam bahumajjhadesabhage chattari vairamaya amkusa pannatta. Tesu nam vairamaesu amkusesu chattari kumbhika muttadama pannatta. Te nam kumbhika muttadama patteyam-patteyam annehim tadaddhauchchatta-pamanamittehim chauhim addhakumbhikkehim muttadamehim savvato samamta samparikkhitta. Tesi nam pechchhagharamamdavanam purao chattari manipedhiyao pannattao. Tasi nam manipedhiyanam uvarim chattari-chattari cheiyathubha pannatta. Tesi nam cheiyathubhanam patteyam-patteyam chauddisim chattari manipedhiyao pannattao. Tasi nam manipedhiyanam uvarim chattari jinapadimao savvarayanamaio sampaliyamkanisannao thubhabhimuhao chitthamti, tam jaha – risabha, vaddhamana, chamdanana, varisena. Tesi nam cheiyathubhanam purao chattari manipedhiyao pannattao. Tasi nam manipedhiyanam uvarim chattari cheiyarukkha pannatta. Tesi nam cheiyarukkhanam purao chattari manipedhiyao pannattao. Tasi nam manipedhiyanam uvarim chattari mahimdajjhaya pannatta. Tesi nam mahimdajjhayanam purao chattari namdao pukkharinio pannattao. Tasi nam pukkharininam patteyam-patteyam chaudisim chattari vanasamda pannatta, tam jaha–puratthime nam, dahine nam, pachchatthime nam, uttare nam.
Sutra Meaning Transliteration : Valayakara vishkambha vale nandishvara dvipa ke madhya charom dishaom mem chara amjanaka parvata haim. Yatha – purva mem, dakshina mem, pashchima mem aura uttara mem. Ve amjanaka parvata 84,000 yojana umche haim aura eka hajara yojana bhumi mem gahare haim. Una parvatom ke mula ka vishkambha dasa hajara yojana ka hai. Phira kramashah kama hote hote upara ka vishkambha eka hajara yojana ka hai. Una parvatom ki paridhi mula mem ikatisa hajara chhaso teisa yojana ki hai. Phira kramashah kama hote hote upara ki paridhi tina hajara eka sau chhasatha yojana ki hai. Ve parvata mula mem vistrita, madhya mem samkare aura upara patale arthat go puchchha ki akriti vale haim. Sabhi amjanaka parvata amjana ratnamaya haim, svachchha haim, komala haim, ghute hue aura ghise hue haim. Raja, mala aura kardama rahita haim. Anindya sushama vale haim, svatah chamakane vale haim. Unase kiranem nikala rahi haim, atah udyotita haim. Ve prasadiya, darshaniya haim, manohara evam ramaniya haim. Una amjanaka parvatom ka uparitala samatala hai. Una samatala uparitalom ke madhya bhaga mem chara siddhayatana haim. Una siddhayatanom ki lambai eka sau yojana ki hai, chaurai pachasa yojana ki hai aura umchai bahattara yojana ki hai. Una siddhayatanom ki chara dishaom yatha – devadvara, asuradvara, nagadvara aura suparnadvara. Una dvarom para chara prakara ke deva rahate haim. Yatha – deva, asura, naga aura suparna. Una dvarom ke age chara mukhamandapa haim. Una mukhamandapom ke age chara prekshadhara mandapa haim. Una prekshaghara mandapom ke madhya bhaga mem chara vajramaya akhare haim. Una vajramaya akharom ke madhya bhaga mem chara manipithikaem haim. Una manipithikaom ke upara chara simhasana haim. Una simhasanom para chara vijayadushya haim. Una vijayadushyom ke madhyabhaga mem chara vajramaya amkusha haim. Una vajramaya amkushom para laghu kumbhakara motiyom ki chara malaem haim. Pratyeka mala ardha – pramana vali chara – chara muktamalaom se ghiri hui haim. Una prekshaghara mandapom ke age chara manipithikaem haim. Una manipithikaom para chara chaitya stupa haim. Pratyeka chaitya stupom ki charom dishaom mem chara – chara manipithikaem haim. Pratyeka manipithika para palyamkasana vali stupa – bhimukha sarva ratnamaya chara jinapratimaem haim. Unake nama – rishabha, vardhamana, chandranana aura varishena. Una chaityastupom ke age chara manipithikaom para chara chaityavriksha haim. Una chaityavrikshom ke samane chara manipithikaem haim. Una manipithi – kaom para chara mahendra dhvajaem haim. Una mahendra dhvajaom ke samane chara namda pushkaraniyam haim. Pratyeka pushkarini ki charom dishaom mem chara vana khamda haim. Purva mem ashoka vana, dakshina mem saptaparna vana, pashchima mem champaka vana aura uttara mem amravana. Sutra – 327, 328