Sutra Navigation: Sthanang ( स्थानांग सूत्र )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 1002269 | ||
Scripture Name( English ): | Sthanang | Translated Scripture Name : | स्थानांग सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
स्थान-४ |
Translated Chapter : |
स्थान-४ |
Section : | उद्देशक-१ | Translated Section : | उद्देशक-१ |
Sutra Number : | 269 | Category : | Ang-03 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] चत्तारि पुरिसजाया पन्नत्ता, तं जहा–आवातभद्दए नाममेगे नो संवासभद्दए, संवासभद्दए नाममेगे नो आवातभद्दए, एगे आवातभद्दएवि संवासभद्दएवि, एगे नो आवातभद्दए नो संवासभद्दए। चत्तारि पुरिसजाया पन्नत्ता, तं जहा–अप्पणो नाममेगे वज्जं पासति नो परस्स, परस्स नाममेगे वज्जं पासति नो अप्पणो, एगे अप्पणोवि वज्जं पासति परस्सवि, एगो नो अप्पणो वज्जं पासति नो परस्स। चत्तारि पुरिसजाया पन्नत्ता, तं जहा–अप्पणो नाममेगे वज्जं उदीरेइ नो परस्स, परस्स नाममेगे वज्जं उदीरेइ नो अप्पणो, एगे अप्पणोवि वज्जं उदीरेइ परस्सवि, एगे नो अप्पणो वज्जं उदीरेइ नो परस्स। चत्तारि पुरिसजाया पन्नत्ता, तं जहा–अप्पणो नाममेगे वज्जं उवसामेति नो परस्स, परस्स नामेगे वज्जं उवसा-मेति नो अप्पणो, एगे अप्पणोवि वज्जं उवसामेति परस्सवि, एगे नो अप्पणो वज्जं उवसामेति नो परस्स। चत्तारि पुरिसजाया पन्नत्ता, तं जहा–अब्भुट्ठेति नाममेगे नो अब्भुट्ठावेति, अब्भुट्ठावेति नाममेगे नो अब्भुट्ठेति, एगे अब्भुट्ठेति वि, एगे नो अब्भुट्ठेति नो अब्भुट्ठावेति। चत्तारि पुरिसजाया पन्नत्ता, तं जहा–वंदति नाममेगे नो वंदावेति, वंदावेति नाममेगे नो वंदति, एगे वंदति वि वंदावेति वि, एगे नो वंदति नो वंदावेति। चत्तारि पुरिसजाया पन्नत्ता, तं जहा–सक्कारेइ नाममेगे नो सक्कारावेइ, सक्कारावेइ नाममेगे नो सक्कारेइ, एगे सक्कारेइ वि सक्कारावेइ वि, एगे नो सक्कारेइ नो सक्कारावेइ। चत्तारि पुरिसजाया पन्नत्ता, तं जहा–सम्माणेति नाममेगे नो सम्माणावेति, सम्माणावेति नाममेगे नो सम्माणेति एगे सम्माणेति वि सम्माणावेति वि, एगे नो सम्माणेति नो सम्माणावेति। चत्तारि पुरिसजाया पन्नत्ता, तं जहा–पूएइ नाममेगे नो पूयावेति, पूयावेति नाममेगे नो पूएइ, एगे पूएइ वि पूयावेति वि, एगे नो पूएइ नो पूयावेति। चत्तारि पुरिसजाया पन्नत्ता, तं जहा–वाएइ नाममेगे नो वायावेइ, वायावेइ नाममेगे नो वाएइ, एगे वाएइ वि वायावेइ वि, एगे नो वाएइ नो वायावेइ। चत्तारि पुरिसजाया पन्नत्ता, तं जहा–पडिच्छति नाममेगे नो पडिच्छावेति, पडिच्छावेति नाममेगे नो पडिच्छति एगे पडिच्छति वि पडिच्छावेति वि, एगे नो पडिच्छति, नो पडिच्छावेति। चत्तारि पुरिसजाया पन्नत्ता, तं जहा–पुच्छइ नाममेगे नो पुच्छावेइ, पुच्छावेइ नाममेगे नो पुच्छइ, एगे पुच्छइ वि पुच्छावेइ वि, एगे नो पुच्छइ नो पुच्छावेइ। चत्तारि पुरिसजाया पन्नत्ता, तं जहा–वागरेति नाममेगे नो वागरावेति, वागरावेति नाममेगे नो वागरेति, एगे वागरेति वि वागरावेति वि, एगे नो वागरेति नो वागरावेति। चत्तारि पुरिसजाया पन्नत्ता, तं जहा–सुत्तधरे नाममेगे नो अत्थधरे, अत्थधरे नाममेगे नो सुत्तधरे, एगे सुत्तधरे वि अत्थधरे वि, एगे नो सुत्तधरे नो अत्थधरे। | ||
Sutra Meaning : | चार प्रकार के पुरुष कहे गए हैं, यथा – कोई प्रथम मिलन में वार्तालाप से भद्र लगते हैं, परन्तु सहवास से अभद्र मालूम होते हैं, कोई सहवास से भद्र मालूम होते हैं पर प्रथम मिलन में अभद्र लगते हैं, कोई प्रथम मिलन में भी भद्र होते हैं और सहवास से भी भद्र मालूम होते हैं, कोई प्रथम मिलन में भी भद्र नहीं लगते और सहवास से भी भद्र मालूम नहीं होते। चार प्रकार के पुरुष कहे गए हैं, कोई अपने दोष देखता है, दूसरों के नहीं, कोई दूसरों के दोष देखता है, अपने नहीं। इस प्रकार चौभंगी जाननी चाहिए। चार प्रकार के पुरुष कहे गए हैं। कोई अपने पाप की उदीरणा करता है किन्तु दूसरे के पाप की उदीरणा नहीं करता। इस प्रकार चार भंग जानना। चार प्रकार के पुरुष कहे गए हैं, यथा – कोई अपने पाप को शांत करता है, दूसरों के पाप को शान्त नहीं करता इसी तरह चौभंगी जानना। चार प्रकार के पुरुष हैं, कोई स्वयं तो अभ्युत्थान आदि से दूसरों का सम्मान करते हैं परन्तु दूसरों के अभ्यु – त्थान से अपना सम्मान नहीं कराते हैं। इत्यादि – चौभंगी। इसी तरह कोई स्वयं वन्दन करता है किन्तु दूसरों से वन्दन नहीं कराता है। इसी तरह सत्कार, सम्मान, पूजा, वाचना, सूत्रार्थ ग्रहण करना, सूत्रार्थ पूछना, प्रश्न का उत्तर देना, आदि जानें। चार प्रकार के पुरुष कहे गए हैं, यथा – कोई सूत्रधर होता है अर्थधर नहीं होता, कोई अर्थधर होता है, सूत्रधर नहीं होता। कोई सूत्रधर भी होता है और अर्थधर भी होता है, कोई सूत्रधर भी नहीं होता और अर्थधर भी नहीं होता। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] chattari purisajaya pannatta, tam jaha–avatabhaddae namamege no samvasabhaddae, samvasabhaddae namamege no avatabhaddae, ege avatabhaddaevi samvasabhaddaevi, ege no avatabhaddae no samvasabhaddae. Chattari purisajaya pannatta, tam jaha–appano namamege vajjam pasati no parassa, parassa namamege vajjam pasati no appano, ege appanovi vajjam pasati parassavi, ego no appano vajjam pasati no parassa. Chattari purisajaya pannatta, tam jaha–appano namamege vajjam udirei no parassa, parassa namamege vajjam udirei no appano, ege appanovi vajjam udirei parassavi, ege no appano vajjam udirei no parassa. Chattari purisajaya pannatta, tam jaha–appano namamege vajjam uvasameti no parassa, parassa namege vajjam uvasa-meti no appano, ege appanovi vajjam uvasameti parassavi, ege no appano vajjam uvasameti no parassa. Chattari purisajaya pannatta, tam jaha–abbhuttheti namamege no abbhutthaveti, abbhutthaveti namamege no abbhuttheti, ege abbhuttheti vi, ege no abbhuttheti no abbhutthaveti. Chattari purisajaya pannatta, tam jaha–vamdati namamege no vamdaveti, vamdaveti namamege no vamdati, ege vamdati vi vamdaveti vi, ege no vamdati no vamdaveti. Chattari purisajaya pannatta, tam jaha–sakkarei namamege no sakkaravei, sakkaravei namamege no sakkarei, ege sakkarei vi sakkaravei vi, ege no sakkarei no sakkaravei. Chattari purisajaya pannatta, tam jaha–sammaneti namamege no sammanaveti, sammanaveti namamege no sammaneti ege sammaneti vi sammanaveti vi, ege no sammaneti no sammanaveti. Chattari purisajaya pannatta, tam jaha–puei namamege no puyaveti, puyaveti namamege no puei, ege puei vi puyaveti vi, ege no puei no puyaveti. Chattari purisajaya pannatta, tam jaha–vaei namamege no vayavei, vayavei namamege no vaei, ege vaei vi vayavei vi, ege no vaei no vayavei. Chattari purisajaya pannatta, tam jaha–padichchhati namamege no padichchhaveti, padichchhaveti namamege no padichchhati ege padichchhati vi padichchhaveti vi, ege no padichchhati, no padichchhaveti. Chattari purisajaya pannatta, tam jaha–puchchhai namamege no puchchhavei, puchchhavei namamege no puchchhai, ege puchchhai vi puchchhavei vi, ege no puchchhai no puchchhavei. Chattari purisajaya pannatta, tam jaha–vagareti namamege no vagaraveti, vagaraveti namamege no vagareti, ege vagareti vi vagaraveti vi, ege no vagareti no vagaraveti. Chattari purisajaya pannatta, tam jaha–suttadhare namamege no atthadhare, atthadhare namamege no suttadhare, ege suttadhare vi atthadhare vi, ege no suttadhare no atthadhare. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Chara prakara ke purusha kahe gae haim, yatha – koi prathama milana mem vartalapa se bhadra lagate haim, parantu sahavasa se abhadra maluma hote haim, koi sahavasa se bhadra maluma hote haim para prathama milana mem abhadra lagate haim, koi prathama milana mem bhi bhadra hote haim aura sahavasa se bhi bhadra maluma hote haim, koi prathama milana mem bhi bhadra nahim lagate aura sahavasa se bhi bhadra maluma nahim hote. Chara prakara ke purusha kahe gae haim, koi apane dosha dekhata hai, dusarom ke nahim, koi dusarom ke dosha dekhata hai, apane nahim. Isa prakara chaubhamgi janani chahie. Chara prakara ke purusha kahe gae haim. Koi apane papa ki udirana karata hai kintu dusare ke papa ki udirana nahim karata. Isa prakara chara bhamga janana. Chara prakara ke purusha kahe gae haim, yatha – koi apane papa ko shamta karata hai, dusarom ke papa ko shanta nahim karata isi taraha chaubhamgi janana. Chara prakara ke purusha haim, koi svayam to abhyutthana adi se dusarom ka sammana karate haim parantu dusarom ke abhyu – tthana se apana sammana nahim karate haim. Ityadi – chaubhamgi. Isi taraha koi svayam vandana karata hai kintu dusarom se vandana nahim karata hai. Isi taraha satkara, sammana, puja, vachana, sutrartha grahana karana, sutrartha puchhana, prashna ka uttara dena, adi janem. Chara prakara ke purusha kahe gae haim, yatha – koi sutradhara hota hai arthadhara nahim hota, koi arthadhara hota hai, sutradhara nahim hota. Koi sutradhara bhi hota hai aura arthadhara bhi hota hai, koi sutradhara bhi nahim hota aura arthadhara bhi nahim hota. |