Sutra Navigation: Sthanang ( स्थानांग सूत्र )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 1002189 | ||
Scripture Name( English ): | Sthanang | Translated Scripture Name : | स्थानांग सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
स्थान-३ |
Translated Chapter : |
स्थान-३ |
Section : | उद्देशक-३ | Translated Section : | उद्देशक-३ |
Sutra Number : | 189 | Category : | Ang-03 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] तिहिं ठाणेहिं अप्पवुट्ठीकाए सिया, तं जहा– १. तस्सिं च णं देसंसि वा पदेसंसि वा नो बहवे उदगजोणिया जीवा य पोग्गला य उदगत्ताते वक्कमंति विउक्कमंति चयंति उववज्जंति। २. देवा नागा जक्खा भूता नो सम्ममाराहिता भवंति, तत्थ समुट्ठियं उदगपोग्गलं परिणतं वासितुकामं अन्नं देसं साहरंति। ३. अब्भवद्दलगं च णं समुट्ठितं परिणतं वासितुकामं वाउकाए विधुणति। इच्चेतेहिं तिहिं ठाणेहिं अप्पवुट्ठिगाए सिया। तिहिं ठाणेहिं महावुट्ठीकाए सिया, तं जहा– १. तस्सिं च णं देसंसि वा पदेसंसि वा बहवे उदगजोणिया जीवा य पोग्गला य उदगत्ताए वक्कमंति विउक्कमंति चयंति उववज्जंति। २. देवा नागा जक्खा भूता सम्ममाराहिता भवंति, अन्नत्थ समुट्ठितं उदगपोग्गलं परिणयं वासिउकामं तं देसं साहरंति। ३. अब्भवद्दलगं च णं समुट्ठितं परिणयं वासितुकामं नो वाउआए विधुनति। इच्चेतेहिं तिहिं ठाणेहिं महावुट्ठिकाए सिआ। | ||
Sutra Meaning : | तीन कारणों से अल्पवृष्टि होती है, यथा – उस देश में या प्रदेश में बहुत से उदक योनि के जीव अथवा पुद्गल उदक रूप से उत्पन्न नहीं होते हैं, नष्ट नहीं होते हैं, समाप्त नहीं होते हैं, पैदा नहीं होते हैं। नाग, देव, यक्ष और भूतों की सम्यग् आराधना नहीं करने से वहाँ उठे हुए उदक पुद्गल – मेघ को जो बरसने वाला है उसे वे देव आदि अन्य देश में लेकर चले जाते हैं। उठे हुए परिपक्व और बरसने वाले मेघ को पवन बिखेर डालता है। तीन कारणों से महावृष्टि होती है, यथा – उस देश में या प्रदेश में उदक योनि के जीव और पुद्गल उदक रूप से उत्पन्न होते हैं, समाप्त होते हैं, नष्ट होते हैं और पैदा होते हैं। देव, यक्ष, नाग और भूतों की सम्यग् आराधना करने से अन्यत्र उठे हुए परिपक्व और बरसने वाले मेघ को उस प्रदेश में ला देते हैं। उठे हुए, परिपक्व बने हुए और बरसने वाले मेघ को वायु नष्ट न करे। इन तीन कारणों से महावृष्टि होती है। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] tihim thanehim appavutthikae siya, tam jaha– 1. Tassim cha nam desamsi va padesamsi va no bahave udagajoniya jiva ya poggala ya udagattate vakkamamti viukkamamti chayamti uvavajjamti. 2. Deva naga jakkha bhuta no sammamarahita bhavamti, tattha samutthiyam udagapoggalam parinatam vasitukamam annam desam saharamti. 3. Abbhavaddalagam cha nam samutthitam parinatam vasitukamam vaukae vidhunati. Ichchetehim tihim thanehim appavutthigae siya. Tihim thanehim mahavutthikae siya, tam jaha– 1. Tassim cha nam desamsi va padesamsi va bahave udagajoniya jiva ya poggala ya udagattae vakkamamti viukkamamti chayamti uvavajjamti. 2. Deva naga jakkha bhuta sammamarahita bhavamti, annattha samutthitam udagapoggalam parinayam vasiukamam tam desam saharamti. 3. Abbhavaddalagam cha nam samutthitam parinayam vasitukamam no vauae vidhunati. Ichchetehim tihim thanehim mahavutthikae sia. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Tina karanom se alpavrishti hoti hai, yatha – usa desha mem ya pradesha mem bahuta se udaka yoni ke jiva athava pudgala udaka rupa se utpanna nahim hote haim, nashta nahim hote haim, samapta nahim hote haim, paida nahim hote haim. Naga, deva, yaksha aura bhutom ki samyag aradhana nahim karane se vaham uthe hue udaka pudgala – megha ko jo barasane vala hai use ve deva adi anya desha mem lekara chale jate haim. Uthe hue paripakva aura barasane vale megha ko pavana bikhera dalata hai. Tina karanom se mahavrishti hoti hai, yatha – usa desha mem ya pradesha mem udaka yoni ke jiva aura pudgala udaka rupa se utpanna hote haim, samapta hote haim, nashta hote haim aura paida hote haim. Deva, yaksha, naga aura bhutom ki samyag aradhana karane se anyatra uthe hue paripakva aura barasane vale megha ko usa pradesha mem la dete haim. Uthe hue, paripakva bane hue aura barasane vale megha ko vayu nashta na kare. Ina tina karanom se mahavrishti hoti hai. |