Sutra Navigation: Sthanang ( स्थानांग सूत्र )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 1002087 | ||
Scripture Name( English ): | Sthanang | Translated Scripture Name : | स्थानांग सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
स्थान-२ |
Translated Chapter : |
स्थान-२ |
Section : | उद्देशक-३ | Translated Section : | उद्देशक-३ |
Sutra Number : | 87 | Category : | Ang-03 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स उत्तर-दाहिणे णं दो वासहरपव्वया पन्नत्ता– बहुसमतुल्ला अविसेस-मणाणत्ता अन्नमन्नंनातिवट्टंति आयाम-विक्खंभुच्चत्तोव्वेह-संठाण-परिणाहेणं, तं जहा–चुल्लहिमवंते चेव, सिहरिच्चेव। एवं–महाहिमवंते चेव, रूप्पिच्चेव। एवं–निसढे चेव, नीलवंते चेव। जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स उत्तर-दाहिणे णं हेमवत-हेरण्णवतेसु वासेसु दो वट्टवेयड्ढपव्वता पन्नत्ता–बहुसमतुल्ला अविसेसमणाणत्ता अन्नमन्नंणातिवट्टंति आयाम-विक्खंभुच्चत्तोव्वेह-संठाण-परिणाहेणं, तं जहा– सद्दावाती चेव, वियडावाती चेव। तत्थ णं दो देवा महिड्ढिया जाव पलिओवमट्ठितीया परिवसंति, तं जहा– साती चेव, पभासे चेव। जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स उत्तर-दाहिणे ण हरिवास-रम्मएसु वासेसु दो वट्टवेयड्ढपव्वया पन्नत्ता–बहुसम-तुल्ला जाव तं जहा–गंधावाती चेव, मालवंतपरियाए चेव। तत्थ णं दो देवा महिड्ढिया जाव पलिओवमट्ठितीया परिवसंति, तं जहा–अरुणे चेव, पउमे चेव। जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स दाहिणे णं देवकुराए कुराए पुव्वावरे पासे, एत्थ णं आस-क्खंधग-सरिसा अद्ध-चंद-संठाण-संठिया दो वक्खारपव्वया पन्नत्ता–बहुसमतुल्ला जाव तं जहा–सोमनसे चेव, विज्जुप्पभे चेव। जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स उत्तरे णं उत्तरकुराए कुराए पुव्वावरे पासे, एत्थ णं आस-क्खंधग-सरिसा अद्ध-चंद-संठाण-संडिया दो वक्खारपव्वया पन्नत्ता–बहुसमतुल्ला जाव तं जहा–गंधमायणे चेव, मालवंते चेव। जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स उत्तर-दाहिणे णं दो दीहवेयड्ढपव्वया पन्नत्ता–बहुसमतुल्ला जाव तं जहा–भारहे चेव दीहवेयड्ढे, एरवते चेव दीहवेयड्ढे। भारहए णं दीहवेयड्ढे दो गुहाओ पन्नत्ताओ–बहुसमतुल्लाओ अविसेसमणाणत्ताओ अन्नमन्नंनाति-वट्टंति आयाम-विक्खंभुच्चत्त-संठाण-परिणाहेणं, तं जहा–तिमिसगुहा चेव, खंडगप्पवायगुहा चेव। तत्थ णं दो देवा महिड्ढिया जाव पलिओवमट्ठितीया परिवसंति, तं– कयमालए चेव, नट्टमालए चेव। एरवए णं दीहवेयड्ढे दो गुहाओ पन्नत्ताओ जाव तं जहा–कयमालए चेव, नट्टमालए चेव। जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स दाहिणे णं चुल्लहिमवंते वासहरपव्वए दो कूडा पन्नत्ता–बहुसमतुल्ला जाव विक्खंभुच्चत्त-संठाण-परिणाहेणं, तं जहा–चुल्लहिमवंतकूडे चेव, वेसमणकूडे चेव। जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स दाहिणे णं महाहिमवंते वासहरपव्वए दो कूडा पन्नत्ता–बहुसमतुल्ला जाव तं जहा–महाहिमवंतकूडे चेव, वेरुलियकूडे चेव। एवं–निसढे वासहरपव्वए दो कूडा पन्नत्ता–बहुसमतुल्ला जाव तं–निसढकूडे चेव, रुयगप्पभे चेव। जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स उत्तरे णं नीलवंते वासहरपव्वए दो कूडा पन्नत्ता–बहुसमतुल्ला जाव तं जहा–नीलवंतकूडे चेव, उवदंसणकूडे चेव। एवं–रुप्पिमि वासहर पव्वए दो कूडा पन्नत्ता–बहुसमतुल्ला जाव तं जहा–रुप्पिकूडे चेव, मणिकंचनकूडे चेव। एवं–सिहरिंमि वासहरपव्वते दो कूडा पन्नत्ता–बहुसमतुल्ला जाव तं जहा–सिहरिकूडे चेव, तिगिंछिकूडे चेव। | ||
Sutra Meaning : | जम्बूद्वीप मे मेरु पर्वत के उत्तर और दक्षिण में दो वर्षधर पर्वत कहे गए हैं, परस्पर सर्वथा समान, विशेषता रहित, विविधता रहित, लम्बाई – चौड़ाई, ऊंचाई, गहराई, संस्थान और परिधि में एक दूसरे का अतिक्रम नहीं करते हैं, यथा – लघु हिमवान् और शिखरी। इसी प्रकार महाहिमवान् और रुक्मि। निषध और नीलवान् पर्वतों के सम्बन्ध में जानना। जम्बूद्वीपवर्ती मेरु पर्वत के उत्तर और दक्षिण में हैमवत् और एरण्यवत क्षेत्र में दो गोल वैताढ्य पर्वत है जो अति समान, विशेषता और विविधता और विविधता रहित – यावत् उनके नाम, यथा – शब्दापाती और विकटपाती। वहाँ महाऋद्धि वाले – यावत् पल्योपम की स्थिति वाले दो देव रहते हैं, यथा – स्वाति और प्रभास। जम्बूद्वीपवर्ती मेरु पर्वत के उत्तर और दक्षिण में हरिवर्ष और रम्यक्वर्ष में दो गोल वैताढ्य पर्वत हैं जो अति – समान हैं यावत् – जिनके नाम, गन्धपाती और माल्यवंत पर्याय। वहाँ महाऋद्धि वाले – यावत् पल्योपम की स्थिति वाले दो देव रहते हैं, अरुण और पद्म। जम्बूद्वीपवर्ती मेरु पर्वत के दक्षिण में और देवगुरु के पूर्व और पश्चिम में अश्वस्कन्ध के समान अर्धचन्द्र की आकृति वाले दो वक्षस्कार पर्वत हैं जो परस्पर अति समान हैं – यावत् उनके नाम। सौमनस और विद्युत्प्रभ। जम्बू द्वीपवर्ती मेरु पर्वत के उत्तर में तथा कुरु के पूर्व और पश्चिम भाग में अश्व स्कन्ध के समान, अर्धचन्द्र की आकृति वाले दो वक्षस्कार पर्वत हैं जो परस्पर अतिसमान यावत् नाम। गन्धमादन और माल्यवान। जम्बूद्वीपवर्ती मेरु पर्वत के उत्तर और दक्षिण में दो दो दीर्घ वैताढ्य पर्वत हैं जो अतितुल्य हैं – यावत् उनके नाम, यथा – भरत दीर्घ वैताढ्य और ऐरवत दीर्घ वैताढ्य। उस भरत दीर्घ वैताढ्य में दो गुफाएं कही गई हैं जो अति तुल्य, अविशेष, विविधता रहित और एक दूसरी की लम्बाई, चौड़ाई, ऊंचाई, संस्थान और परिधि में अतिक्रम न करने वाली हैं, उनके नाम। तिमिस्र गुफा और खण्ड – प्रपात गुफा। वहाँ महर्द्धिक – यावत् – पल्योपम की स्थिति वाले दो देव रहते हैं, नाम। कृतमालक और नृत्य – मालक। एरवत – दीर्घ वैताढ्य में दो गुफाएं हैं जो अतिसमान हैं यावत् – कृतमालक और नृत्यमालक देव हैं। जम्बूद्वीपवर्ती मेरु पर्वत के दक्षिण में लघुहिमवान् वर्षधर पर्वत पर दो कूट कहे गए हैं जो परस्पर अति तुल्य – यावत् लम्बाई – चौड़ाई, ऊंचाई, संस्थान और परिधि में एक दूसरे का अतिक्रमण नहीं करने वाले हैं, उनके नाम – लघुहिमवानकूट और वैश्रमणकूट। जम्बूद्वीपवर्ती मेरु पर्वत के दक्षिण में महाहिमवान् वर्षधर पर्वत पर दो कूट कहे गए हैं जो परस्पर अति तुल्य हैं उनके नाम – महाहिमवनकूट और वैडूर्यकूट। इसी तरह निषध वर्षधर पर्वत पर दो कूट कहे गए हैं जो अति तुल्य हैं – यावत् उनके नाम। निषधकूट और रुचकप्रभकूट। जम्बूद्वीपवर्ती मेरु पर्वत के उत्तर में नीलवान वर्षधर पर्वत पर दो कूट हैं जो अति तुल्य हैं – यावत् उनके नाम। नीलवंतकूट और उपदर्शकूट। इसी तरह तरह रुक्मिकूट वर्षधर पर्वत पर दो कूट हैं यावत् – उनके नाम। रुक्मिकूट और मणिकांचनकूट। इसी तरह शिखरी वर्षधर पर्वत पर दो कूट हैं जो यावत् – उनके नाम, शिखरीकूट और तिगिच्छकूट। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] jambuddive dive mamdarassa pavvayassa uttara-dahine nam do vasaharapavvaya pannatta– bahusamatulla avisesa-mananatta annamannamnativattamti ayama-vikkhambhuchchattovveha-samthana-parinahenam, tam jaha–chullahimavamte cheva, siharichcheva. Evam–mahahimavamte cheva, ruppichcheva. Evam–nisadhe cheva, nilavamte cheva. Jambuddive dive mamdarassa pavvayassa uttara-dahine nam hemavata-herannavatesu vasesu do vattaveyaddhapavvata pannatta–bahusamatulla avisesamananatta annamannamnativattamti ayama-vikkhambhuchchattovveha-samthana-parinahenam, tam jaha– saddavati cheva, viyadavati cheva. Tattha nam do deva mahiddhiya java paliovamatthitiya parivasamti, tam jaha– sati cheva, pabhase cheva. Jambuddive dive mamdarassa pavvayassa uttara-dahine na harivasa-rammaesu vasesu do vattaveyaddhapavvaya pannatta–bahusama-tulla java tam jaha–gamdhavati cheva, malavamtapariyae cheva. Tattha nam do deva mahiddhiya java paliovamatthitiya parivasamti, tam jaha–arune cheva, paume cheva. Jambuddive dive mamdarassa pavvayassa dahine nam devakurae kurae puvvavare pase, ettha nam asa-kkhamdhaga-sarisa addha-chamda-samthana-samthiya do vakkharapavvaya pannatta–bahusamatulla java tam jaha–somanase cheva, vijjuppabhe cheva. Jambuddive dive mamdarassa pavvayassa uttare nam uttarakurae kurae puvvavare pase, ettha nam asa-kkhamdhaga-sarisa addha-chamda-samthana-samdiya do vakkharapavvaya pannatta–bahusamatulla java tam jaha–gamdhamayane cheva, malavamte cheva. Jambuddive dive mamdarassa pavvayassa uttara-dahine nam do dihaveyaddhapavvaya pannatta–bahusamatulla java tam jaha–bharahe cheva dihaveyaddhe, eravate cheva dihaveyaddhe. Bharahae nam dihaveyaddhe do guhao pannattao–bahusamatullao avisesamananattao annamannamnati-vattamti ayama-vikkhambhuchchatta-samthana-parinahenam, tam jaha–timisaguha cheva, khamdagappavayaguha cheva. Tattha nam do deva mahiddhiya java paliovamatthitiya parivasamti, tam– kayamalae cheva, nattamalae cheva. Eravae nam dihaveyaddhe do guhao pannattao java tam jaha–kayamalae cheva, nattamalae cheva. Jambuddive dive mamdarassa pavvayassa dahine nam chullahimavamte vasaharapavvae do kuda pannatta–bahusamatulla java vikkhambhuchchatta-samthana-parinahenam, tam jaha–chullahimavamtakude cheva, vesamanakude cheva. Jambuddive dive mamdarassa pavvayassa dahine nam mahahimavamte vasaharapavvae do kuda pannatta–bahusamatulla java tam jaha–mahahimavamtakude cheva, veruliyakude cheva. Evam–nisadhe vasaharapavvae do kuda pannatta–bahusamatulla java tam–nisadhakude cheva, ruyagappabhe cheva. Jambuddive dive mamdarassa pavvayassa uttare nam nilavamte vasaharapavvae do kuda pannatta–bahusamatulla java tam jaha–nilavamtakude cheva, uvadamsanakude cheva. Evam–ruppimi vasahara pavvae do kuda pannatta–bahusamatulla java tam jaha–ruppikude cheva, manikamchanakude cheva. Evam–siharimmi vasaharapavvate do kuda pannatta–bahusamatulla java tam jaha–siharikude cheva, tigimchhikude cheva. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Jambudvipa me meru parvata ke uttara aura dakshina mem do varshadhara parvata kahe gae haim, paraspara sarvatha samana, visheshata rahita, vividhata rahita, lambai – chaurai, umchai, gaharai, samsthana aura paridhi mem eka dusare ka atikrama nahim karate haim, yatha – laghu himavan aura shikhari. Isi prakara mahahimavan aura rukmi. Nishadha aura nilavan parvatom ke sambandha mem janana. Jambudvipavarti meru parvata ke uttara aura dakshina mem haimavat aura eranyavata kshetra mem do gola vaitadhya parvata hai jo ati samana, visheshata aura vividhata aura vividhata rahita – yavat unake nama, yatha – shabdapati aura vikatapati. Vaham mahariddhi vale – yavat palyopama ki sthiti vale do deva rahate haim, yatha – svati aura prabhasa. Jambudvipavarti meru parvata ke uttara aura dakshina mem harivarsha aura ramyakvarsha mem do gola vaitadhya parvata haim jo ati – samana haim yavat – jinake nama, gandhapati aura malyavamta paryaya. Vaham mahariddhi vale – yavat palyopama ki sthiti vale do deva rahate haim, aruna aura padma. Jambudvipavarti meru parvata ke dakshina mem aura devaguru ke purva aura pashchima mem ashvaskandha ke samana ardhachandra ki akriti vale do vakshaskara parvata haim jo paraspara ati samana haim – yavat unake nama. Saumanasa aura vidyutprabha. Jambu dvipavarti meru parvata ke uttara mem tatha kuru ke purva aura pashchima bhaga mem ashva skandha ke samana, ardhachandra ki akriti vale do vakshaskara parvata haim jo paraspara atisamana yavat nama. Gandhamadana aura malyavana. Jambudvipavarti meru parvata ke uttara aura dakshina mem do do dirgha vaitadhya parvata haim jo atitulya haim – yavat unake nama, yatha – bharata dirgha vaitadhya aura airavata dirgha vaitadhya. Usa bharata dirgha vaitadhya mem do guphaem kahi gai haim jo ati tulya, avishesha, vividhata rahita aura eka dusari ki lambai, chaurai, umchai, samsthana aura paridhi mem atikrama na karane vali haim, unake nama. Timisra gupha aura khanda – prapata gupha. Vaham maharddhika – yavat – palyopama ki sthiti vale do deva rahate haim, nama. Kritamalaka aura nritya – malaka. Eravata – dirgha vaitadhya mem do guphaem haim jo atisamana haim yavat – kritamalaka aura nrityamalaka deva haim. Jambudvipavarti meru parvata ke dakshina mem laghuhimavan varshadhara parvata para do kuta kahe gae haim jo paraspara ati tulya – yavat lambai – chaurai, umchai, samsthana aura paridhi mem eka dusare ka atikramana nahim karane vale haim, unake nama – laghuhimavanakuta aura vaishramanakuta. Jambudvipavarti meru parvata ke dakshina mem mahahimavan varshadhara parvata para do kuta kahe gae haim jo paraspara ati tulya haim unake nama – mahahimavanakuta aura vaiduryakuta. Isi taraha nishadha varshadhara parvata para do kuta kahe gae haim jo ati tulya haim – yavat unake nama. Nishadhakuta aura ruchakaprabhakuta. Jambudvipavarti meru parvata ke uttara mem nilavana varshadhara parvata para do kuta haim jo ati tulya haim – yavat unake nama. Nilavamtakuta aura upadarshakuta. Isi taraha taraha rukmikuta varshadhara parvata para do kuta haim yavat – unake nama. Rukmikuta aura manikamchanakuta. Isi taraha shikhari varshadhara parvata para do kuta haim jo yavat – unake nama, shikharikuta aura tigichchhakuta. |