Sutra Navigation: Sutrakrutang ( सूत्रकृतांग सूत्र )
Search Details
Mool File Details |
|
Anuvad File Details |
|
Sr No : | 1001805 | ||
Scripture Name( English ): | Sutrakrutang | Translated Scripture Name : | सूत्रकृतांग सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
श्रुतस्कंध-२ अध्ययन-७ नालंदीय |
Translated Chapter : |
श्रुतस्कंध-२ अध्ययन-७ नालंदीय |
Section : | Translated Section : | ||
Sutra Number : | 805 | Category : | Ang-02 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] १. तत्थ आरेणं जे तसा पाणा, जेहिं समणोवासगस्स आयाणसो आमरणंताए दंडे निक्खित्ते, ते तओ आउं विप्पजहंति, विप्प जहित्ता तत्थ आरेणं चेव जे तसा पाणा, जेहिं समणोवासगस्स आयाणसो आमरणंताए दंडे निक्खित्ते, तेसु पच्चायंति तेहिं समणोवासगस्स सुपच्चक्खायं भवइ। ते पाणा वि वुच्चंति, ते तसावि वुच्चंति, ते महाकाया, ते चिरट्ठिइया। ते बहुतरगा पाणा जेहिं समणोवासगस्स सुपच्चक्खायं भवइ। ते अप्पयरगा पाणा जेहिं समणोवासगस्स अपच्चक्खायं भवइ। से महया तसकायाओ उवसंतस्स उवट्ठियस्स पडिविरयस्स जं णं तुब्भे वा अण्णो वा एवं वयह– ‘नत्थि णं से केइ परियाए जंसि समणोवासगस्स एगपाणाए वि दंडे निक्खित्ते।’ अयं पि भे उवएसे नो नेयाउए भवइ। २. तत्थ आरेणं जे तसा पाणा, जेहिं समणोवासगस्स आयाणसो आमरणंताए दंडे निक्खित्ते, ते तओ आउं विप्पजहंति, विप्पजहित्ता तत्थ आरेणं चेव जे थावरा पाणा, जेहिं समणोवासगस्स अट्ठाए दंडे अनिक्खित्ते अणट्ठाए दंडे निक्खित्ते, तेसु पच्चा-यंति। तेहिं समणोवासगस्स अट्ठाए दंडे अनिक्खित्ते अणट्ठाए दंडे निक्खित्ते। ते पाणावि वुच्चंति, ते तसा वि वुच्चंति, ते महाकाया, ते चिरट्ठिइया। ते बहुतरगा पाणा जेहिं समणोवासगस्स सुपच्चक्खायं भवइ। ते अप्पयरगा पाणा जेहिं समणोवासगस्स अपच्चक्खायं भवइ। से महया तसकायाओ उवसंतस्स उवट्ठियस्स पडिविरयस्स जं णं तुब्भे वा अण्णो वा एवं वयह– ‘नत्थि णं से केइ परियाए जंसि समणोवासगस्स एगपाणाए वि दंडे निक्खित्ते’ अयं पि भे उवएसे नो नेयाउए भवइ। ३. तत्थ ‘आरेणं जे’ तसा पाणा, जेहिं समणोवासगस्स आयाणसो आमरणंताए दंडे निक्खित्ते, ते तओ आउं विप्पजहंति, विप्पजहित्ता तत्थ परेणं चेव जे तसा थावरा पाणा, जेहिं समणोवासगस्स आयाणसो आमरणंताए दंडे निक्खित्ते, तेसु पच्चायंति। तेहिं समणोवासगस्स सुपच्चक्खायं भवइ। ते पाणावि वुच्चंति, ते तसा वि वुच्चंति, ते महाकाया, ते चिरट्ठिइया। ते बहुतरगा पाणा जेहिं समणोवासगस्स सुपच्चक्खायं भवइ। ते अप्पयरगा पाणा जेहिं समणोवासगस्स अपच्चक्खायं भवइ। से महया तसकायाओ उवसंतस्स उवट्ठियस्स पडिविरयस्स जं णं तुब्भे वा अण्णो वा एवं वयह– ‘नत्थि णं से केइ परियाए जंसि समणोवासगस्स एगपाणाए वि दंडे निक्खित्ते’ अयं पि भे उवएसे नो नेयाउए भवइ। ४. तत्थ ‘आरेणं जे’ थावरा पाणा, जेहिं समणोवासगस्स अट्ठाए दंडे अनिक्खित्ते अणट्ठाए दंडे निक्खित्ते, ते तओ आउं विप्प जहंति, विप्पजहित्ता तत्थ आरेणं चेव जे तसा पाणा, जेहिं समणोवासगस्स आयाणसो आमरणंताए दंडे निक्खित्ते, तेसु पच्चायंति तेहिं समणोवासगस्स सुपच्चक्खायं भवइ। ते पाणावि वुच्चंति, ते तसा वि वुच्चंति, से महाकाया, ते चिरट्ठिइया। ते बहुयरगा पाणा जेहिं समणोवासगस्स सुपच्चक्खायं भवइ। ते अप्पयरगा पाणा जेहिं समणोवासगस्स अपच्चक्खायं भवइ। से महया तसकायाओ उवसंतस्स उवट्ठियस्स पडिविरयस्स जं णं तुब्भे वा अण्णो वा एवं वयह– ‘नत्थि णं से केइ परियाए जंसि समणोवासगस्स एगपाणाए वि दंडे निक्खित्ते।’ अयं पि भे उवएसे नो नेयाउए भवइ। ५. तत्थ ‘आरेणं जे’ थावरा पाणा, जेहिं समणोवासगस्स अट्ठाए दंडे अनिक्खित्ते अणट्ठाए दंडे निक्खित्ते, ते तओ आउं विप्प जहंति, विप्पजहित्ता ते तत्थ आरेणं चेव जे थावरा पाणा, जेहिं समणोवासगस्स अट्ठाए दंडे अनिक्खित्ते अणट्ठाए दंडे निक्खित्ते, तेसु पच्चायंति। तेहिं समणो-वासगस्स ‘अट्ठाए दंडे अनिक्खित्ते अणट्ठाए दंडे निक्खित्ते’। ते पाणावि वुच्चंति, ते तसा वि वुच्चंति, ते महाकाया, ते चिरट्ठिइया। ते बहुयरगा पाणा जेहिं समणोवासगस्स सुपच्चक्खायं भवइ। ते अप्पयरगा पाणा जेहिं समणोवासगस्स अपच्चक्खायं भवइ। से महया तसकायाओ उवसंतस्स उवट्ठियस्स पडिविरयस्स जं णं तुब्भे वा अण्णो वा एवं वयह– ‘नत्थि णं से केइ परियाए जंसि समणोवासगस्स एगपाणाए वि दंडे निक्खित्ते।’ अयं पि भे उवएसे नो नेयाउए भवइ। ६. तत्थ ‘परेणं जे’ थावरा पाणा जेहिं समणोवासगस्स अट्ठाए दंडे अनिक्खित्ते अणट्ठाए दंडे निक्खित्ते, ते तओ आउं विप्पजहंति, विप्पजहित्ता तत्थ परेणं चेव जे तसा थावरा पाणा, जेहिं समणोवासगस्स आयाणसो आमरणंताए दंडे निक्खित्ते, तेसु पच्चायंति। तेहिं समणोवासगस्स सुपच्चक्खायं भवइ। ते पाणावि वुच्चंति, ते तसा वि वुच्चंति, ते महाकाया, ते चिरट्ठिइया। ते बहुयरगा पाणा जेहिं समणोवासगस्स सुपच्चक्खायं भवइ। ते अप्पयरगा पाणा जेहिं समणोवासगस्स अपच्चक्खायं भवइ। से महया तसकायाओ उवसंतस्स उवट्ठियस्स पडिविरयस्स जं णं तुब्भे वा अण्णो वा एवं वयह–’नत्थि णं से केइ परियाए जंसि समणोवासगस्स एगपाणाए वि दंडे निक्खित्ते।’ अयं पि भे उवएसे नो नेयाउए भवइ। ७. तत्थ ‘परेणं जे’ तसथावरा पाणा, जेहिं समणोवासगस्स आयाणसो आमरणंताए दंडे निक्खित्ते, ते तओ आउं विप्पजहंति विप्पजहित्ता तत्थ आरेणं जे तसा पाणा, जेहिं समणोवासगस्स आयाणसो आमरणंताए दंडे निक्खित्ते, तेसु पच्चायंति। तेहिं सम-णोवासगस्स सुपच्चक्खायं भवइ। ते पाणावि वुच्चंति, ते तसा वि वुच्चंति, ते महाकाया, ते चिरट्ठिइया। ते बहुयरगा पाणा जेहिं समणोवासगस्स सुपच्चक्खायं भवइ। ते अप्पयरगा पाणा जेहिं समणोवासगस्स अपच्चक्खायं भवइ। से महया तसकायाओ उवसंतस्स उवट्ठियस्स पडिविरयस्स जं णं तुब्भे वा अण्णो वा एवं वयह–’नत्थि णं से केइ परियाए जंसि समणोवासगस्स एगपाणाए वि दंडे निक्खित्ते।’ अयं पि भे उवएसे नो नेयाउए भवइ। ८. तत्थ ‘परेणं जे’ तसथावरा पाणा जेहिं समणोवासगस्स आयाणसो आमरणंताए दंडे निक्खित्ते, ते तओ आउं विप्पजहंति, विप्पजहित्ता तत्थ आरेणं जे थावरा पाणा, जेहिं समणो-वासगस्स अट्ठाए दंडे अनिक्खित्ते अणट्ठाए दंडे निक्खित्ते, तेसु पच्चायंति। तेहिं समणोवासगस्स सुपच्चक्खायं भवइ। ते पाणावि वुच्चंति, ते तसा वि वुच्चंति, ते महाकाया, ते चिरट्ठिइया। ते बहुयरगा पाणा जेहिं समणोवासगस्स सुपच्चक्खायं भवइ। ते अप्पयरगा पाणा जेहिं समणोवासगस्स अपच्चक्खायं भवइ। से महया तसकायाओ उवसंतस्स उवट्ठियस्स पडिविरयस्स जं णं तुब्भे वा अण्णो वा एवं वयह–’नत्थि णं से केइ परियाए जंसि समणोवासगस्स एगपाणाए वि दंडे निक्खित्ते।’ अयं पि भे उवएसे नो नेयाउए भवइ। ९. तत्थ परेणं जे तसथावरा पाणा, जेहिं समणोवासगस्स आयाणसो आमरणंताए दंडे निक्खित्ते ते तओ आउं विप्पजहंति विप्पजहित्ता ते तत्थ परेणं चेव जे तसथावरा पाणा, जेहिं समणोवासगस्स आमरणंताए दंडे निक्खित्ते, तेसु पच्चायंति। तेहिं समणोवासगस्स सुपच्चक्खायं भवइ। ते पाणावि वुच्चंति, ते तसा वि वुच्चंति, ते महाकाया, ते चिरट्ठिइया। ते बहुयरगा पाणा जेहिं समणोवासगस्स सुपच्चक्खायं भवइ। ते अप्पयरगा पाणा जेहिं समणोवासगस्स अपच्चक्खायं भवइ। से महया तसकायाओ उवसंतस्स उवट्ठियस्स पडिविरयस्स जं णं तुब्भे वा अण्णो वा एवं वयह– ‘नत्थि णं से केइ परियाए जंसि समणोवासगस्स एगपाणाए वि दंडे निक्खित्ते।’ अयं पि भे उवएसे नो नेयाउए भवइ। भगवं च णं उदाहु–न एयं भूयं न एयं भव्वं ‘न एयं भविस्सं’ जण्णं–तसा पाणा वोच्छिज्जिहिंति, थावरा पाणा भविस्संति। थावरा पाणा वोच्छिज्जिहिंति, तसा पाणा भविस्संति। अवोच्छिण्णेहिं तसथावरेहिं पाणेहिं जण्णं तुब्भे वा अण्णो वा एवं वदह–’नत्थि णं से केइ परियाए जंसि समणोवासगस्स एगपाणाए वि दंडे निक्खित्ते।’ अयं पि भे उवएसे नो नेयाउए भवइ। | ||
Sutra Meaning : | (१) ऐसी स्थिति में (श्रमणोपासक के व्रतग्रहण के समय) स्वीकृत मर्यादा के (अन्दर) रहने वाले जो त्रस प्राणी हैं, जिनका उसने अपने व्रतग्रहण के समय से लेकर मृत्युपर्यन्त दण्ड देने का प्रत्याख्यान किया है, वे प्राणी अपनी आयु को छोड़कर श्रमणोपासक द्वारा गृहीत मर्यादा के अन्तर क्षेत्रों में उत्पन्न होते हैं, तब भी श्रमणोपासक का प्रत्याख्यान उनमें सुप्रत्याख्यान होता है। वे श्रावक की दिशामर्यादा से अन्दर के क्षेत्र में पहले भी त्रस थे, बाद में भी मर्यादा के अन्दर के क्षेत्र में त्रसरूप में उत्पन्न होते हैं इसलिए वे प्राणी भी कहलाते हैं, त्रस भी कहलाते हैं। ऐसी स्थिति में श्रमणोपासक के पूर्वोक्त प्रत्याख्यान को निर्विषय बताना कथमपि न्याययुक्त नहीं है। (२) श्रमणोपासक द्वारा गृहीत मर्यादा के अन्दर के प्रदेश में रहने वाले जो त्रस प्राणी हैं, जिनको दण्ड देना श्रमणोपासक ने व्रतग्रहण करने के समय से लेकर मरणपर्यन्त छोड़ दिया है; वे जब आयु को छोड़ देते हैं और पुनः श्रावक द्वारा गृहीत उसी मर्यादा के अन्दर वाले प्रदेश में स्थावर प्राणियों में उत्पन्न होते हैं; जिनको श्रमणोपासक ने अर्थदण्ड का त्याग नहीं किया है, किन्तु उन्हें अनर्थ दण्ड करने का त्याग किया है। अतः उनको श्रमणोपासक अर्थवश दण्ड देता है, अनर्थ दण्ड नहीं देता। वे प्राणी भी कहलाते हैं, त्रस भी कहलाते हैं। वे चिरस्थितिक भी होते हैं। अतः श्रावक का त्रसप्राणियों की हिंसा का और स्थावरप्राणियों की निरर्थक हिंसा का प्रत्याख्यान सविषय एवं सार्थक होते हुए भी उसे निर्विषय बताना न्यायोचित नहीं है। (३) (श्रमणोपासक द्वारा गृहीत मर्यादा के) अन्दर के प्रदेश में जो त्रस प्राणी हैं, जिनको श्रमणोपासक ने व्रतग्रहण के समय से लेकर मरणपर्यन्त दण्ड देने का त्याग किया है; वे मृत्यु का समय आने पर अपनी आयु को छोड़ देते हैं, वहाँ से देह छोड़कर वे निर्धारित मर्यादा के बाहर के प्रदेश में, जो त्रस और स्थावर प्राणी हैं, उनके उत्पन्न होते हैं, जिनमें से त्रस प्राणियों को तो श्रमणोपासक ने व्रतग्रहण के समय से लेकर आमरणान्त दण्ड देने का और स्थावर प्राणियों को निरर्थक दण्ड देने का त्याग किया होता है। अतः उन प्राणियों के सम्बन्ध में श्रमणोपासक का प्रत्याख्यान सुप्रत्याख्यान होता है। वे प्राणी भी कहलाते हैं यावत् चिरकाल की स्थिति वाले भी होते हैं। अतः श्रावकों के प्रत्याख्यान को निर्विषय कहना न्यायपूर्ण नहीं है। (४) (श्रमणोपासक द्वारा निर्धारित भूमि के) अन्दर वाले प्रदेश में जो स्थावर प्राणी हैं, श्रमणोपासक ने जिनको प्रयोजनवश दण्ड देने का त्याग नहीं किया है, किन्तु बिना प्रयोजन के दण्ड देने का त्याग किया है; वे स्थावर प्राणी वहाँ से अपनी आयु को छोड़ देते हैं, आयु छोड़कर श्रमणोपासक द्वारा स्वीकृत मर्यादा के अन्दर के प्रदेश में जो त्रस प्राणी हैं, उनमें उत्पन्न होते हैं। तब उन प्राणियों के विषय में किया हुआ श्रमणोपासक का प्रत्या – ख्यान सुप्रत्याख्यान होता है। वे प्राणी भी कहलाते हैं, त्रस भी; यावत् चिरस्थितिक भी होते हैं। अतः त्रस या स्थावर प्राणियों का अभाव मानकर श्रमणोपासक के प्रत्याख्यान को निर्विषय बताना न्यायसंगत नहीं है। (५) श्रावक द्वारा स्वीकृत मर्यादा के अन्दर के क्षेत्र में जो स्थावर प्राणी हैं, जिनको सार्थक दण्ड देने का त्याग श्रमणोपासक नहीं करता अपितु वह उन्हें निरर्थक दण्ड देने का त्याग करता है। वे प्राणी आयुष्य पूर्ण होने पर उस शरीर को छोड़ देते हैं, उस शरीर को छोड़कर श्रमणोपासक द्वारा गृहीत मर्यादित भूमि के अन्दर ही जो स्थावर प्राणी हैं, जिनको श्रमणोपासक ने सार्थक दण्ड देना नहीं छोड़ा है, किन्तु निरर्थक दण्ड देने का त्याग किया है, उनमें उत्पन्न होता है। अतः इन प्राणियों के सम्बन्ध में किया हुआ श्रमणोपासक का प्रत्याख्यान सुप्रत्याख्यान होता है। वे प्राणी भी हैं, यहाँ तक कि चिरकाल की स्थिति वाले भी हैं। अतः श्रमणोपासक के प्रत्याख्यान को निर्विषय कहना न्याययुक्त नहीं है। (६) श्रावक द्वारा स्वीकृत मर्यादाभूमि के अन्दर जो स्थावर प्राणी हैं, श्रमणोपासक ने जिनकी सार्थक हिंसा का त्याग नहीं किया, किन्तु निरर्थक हिंसा का त्याग किया है, वे स्थावर प्राणी वहाँ से आयुष्यक्षय होने पर शरीर छोड़कर श्रावक द्वारा निर्धारित मर्यादाभूमि के बाहर जो त्रस और स्थावर प्राणी हैं; जिनको दण्ड देने का श्रमणो – पासक ने व्रतग्रहण के समय से मरण तक त्याग किया हुआ है, उनमें उत्पन्न होते हैं। अतः उनके सम्बन्ध में किया हुआ श्रमणोपासक का प्रत्याख्यान सुप्रत्याख्यान होता है। वे प्राणी भी कहलाते हैं, यहाँ तक कि चिरकाल की स्थिति वाले भी होते हैं। अतः श्रमणोपासक के प्रत्याख्यान को निर्विषय बताना न्याययुक्त नहीं है। (७) श्रमणोपासक द्वारा निर्धारित मर्यादाभूमि से बाहर जो त्रस – स्थावर प्राणी हैं, जिनको व्रतग्रहण – समय से मृत्युपर्यन्त श्रमणोपासक ने दण्ड देने का त्याग कर दिया है; वे प्राणी आयुक्षीण होते ही शरीर छोड़ देते हैं, वे श्रमणोपासक द्वारा स्वीकृत मर्यादाभूमि के अन्दर जो त्रस प्राणी हैं, जिनको दण्ड देने का श्रमणोपासक ने व्रतारम्भ से लेकर आयुपर्यन्त त्याग किया हुआ है, उनमें उत्पन्न होते हैं। इन प्राणियों के सम्बन्ध में श्रमणोपासक का प्रत्या – ख्यान सुप्रत्याख्यान होता है। क्योंकि वे प्राणी भी कहलाते हैं, त्रस भी तथा महाकाय भी एवं चिरस्थितिक भी होते हैं। अतः आपके द्वारा श्रमणोपासक के उक्त प्रत्याख्यान पर निर्विषयता का आक्षेप न्यायसंगत नहीं है। (८) श्रमणोपासक द्वारा मर्यादित क्षेत्र के बाहर जो त्रस और स्थावर प्राणी हैं, जिनको दण्ड देने का श्रमणोपासक ने व्रतग्रहण काल से लेकर मृत्युपर्यन्त त्याग किया है; वे प्राणी वहाँ से आयुष्य पूर्ण होने पर श्रावक द्वारा निर्धारित मर्यादित भूमि के अन्दर जो स्थावर प्राणी हैं, जिनको श्रमणोपासक ने प्रयोजनवश दण्ड देने का त्याग नहीं किया है, किन्तु निष्प्रयोजन दण्ड देने का त्याग किया है, उनमें उत्पन्न होते हैं। अतः उन प्राणियों के सम्बन्ध में श्रमणोपासक द्वारा किया हुआ प्रत्याख्यान सुप्रत्याख्यान है। वे प्राणी भी हैं, यावत् दीर्घायु भी होते हैं। फिर भी आपके द्वारा श्रमणोपासक के प्रत्याख्यान को निर्विषय कहना न्यायपूर्ण नहीं है। (९) श्रावक द्वारा निर्धारित मर्यादाभूमि के बाहर त्रस – स्थावर प्राणी हैं, जिनको दण्ड देने का श्रमणोपासक ने व्रतग्रहणारम्भ से लेकर मरणपर्यन्त त्याग कर रखा है; वे प्राणी आयुष्यक्षय होने पर शरीर छोड़ देते हैं। वे उसी श्रमणोपासक द्वारा निर्धारित भूमि के बाहर ही जो त्रस – स्थावर प्राणी हैं, जिनको दण्ड देने का श्रमणोपासक ने व्रतग्रहण से मृत्युपर्यन्त त्याग किया हुआ है, उन्हीं में पुनः उत्पन्न होते हैं। अतः श्रमणोपासक द्वारा किया गया प्रत्याख्यान सुप्रत्याख्यान है। वे प्राणी भी कहलाते हैं, यावत् चिरकाल तक स्थिति वाले भी हैं। ऐसी स्थिति में आपका यह कथन न्याययुक्त नहीं कि श्रमणोपासक का प्रत्याख्यान निर्विषय है। (अन्त में) भगवान गौतम ने कहा – भूतकाल में ऐसा कदापि नहीं हुआ, न वर्तमान में ऐसा होता है और न ही भविष्य में ऐसा होगा कि त्रस – प्राणी सर्वथा उच्छिन्न हो जाएंगे, और सब के सब प्राणी स्थावर हो जाएंगे, अथवा स्थावर प्राणी सर्वथा उच्छिन्न हो जाएंगे और वे सब के सब प्राणी त्रस हो जाएंगे। त्रस और स्थावर प्राणियों को सर्वथा उच्छेद न होने पर भी आपका यह कथन कि कोई ऐसा पर्याय नहीं है, जिसको लेकर श्रमणोपासक का प्रत्याख्यान सुप्रत्याख्यान हो, यावत् आपका यह मन्तव्य न्यायसंगत नहीं है। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] 1. Tattha arenam je tasa pana, jehim samanovasagassa ayanaso amaranamtae damde nikkhitte, te tao aum vippajahamti, vippa jahitta tattha arenam cheva je tasa pana, jehim samanovasagassa ayanaso amaranamtae damde nikkhitte, tesu pachchayamti tehim samanovasagassa supachchakkhayam bhavai. Te pana vi vuchchamti, te tasavi vuchchamti, te mahakaya, te chiratthiiya. Te bahutaraga pana jehim samanovasagassa supachchakkhayam bhavai. Te appayaraga pana jehim samanovasagassa apachchakkhayam bhavai. Se mahaya tasakayao uvasamtassa uvatthiyassa padivirayassa jam nam tubbhe va anno va evam vayaha– ‘natthi nam se kei pariyae jamsi samanovasagassa egapanae vi damde nikkhitte.’ ayam pi bhe uvaese no neyaue bhavai. 2. Tattha arenam je tasa pana, jehim samanovasagassa ayanaso amaranamtae damde nikkhitte, te tao aum vippajahamti, vippajahitta tattha arenam cheva je thavara pana, jehim samanovasagassa atthae damde anikkhitte anatthae damde nikkhitte, tesu pachcha-yamti. Tehim samanovasagassa atthae damde anikkhitte anatthae damde nikkhitte. Te panavi vuchchamti, te tasa vi vuchchamti, te mahakaya, te chiratthiiya. Te bahutaraga pana jehim samanovasagassa supachchakkhayam bhavai. Te appayaraga pana jehim samanovasagassa apachchakkhayam bhavai. Se mahaya tasakayao uvasamtassa uvatthiyassa padivirayassa jam nam tubbhe va anno va evam vayaha– ‘natthi nam se kei pariyae jamsi samanovasagassa egapanae vi damde nikkhitte’ ayam pi bhe uvaese no neyaue bhavai. 3. Tattha ‘arenam je’ tasa pana, jehim samanovasagassa ayanaso amaranamtae damde nikkhitte, te tao aum vippajahamti, vippajahitta tattha parenam cheva je tasa thavara pana, jehim samanovasagassa ayanaso amaranamtae damde nikkhitte, tesu pachchayamti. Tehim samanovasagassa supachchakkhayam bhavai. Te panavi vuchchamti, te tasa vi vuchchamti, te mahakaya, te chiratthiiya. Te bahutaraga pana jehim samanovasagassa supachchakkhayam bhavai. Te appayaraga pana jehim samanovasagassa apachchakkhayam bhavai. Se mahaya tasakayao uvasamtassa uvatthiyassa padivirayassa jam nam tubbhe va anno va evam vayaha– ‘natthi nam se kei pariyae jamsi samanovasagassa egapanae vi damde nikkhitte’ ayam pi bhe uvaese no neyaue bhavai. 4. Tattha ‘arenam je’ thavara pana, jehim samanovasagassa atthae damde anikkhitte anatthae damde nikkhitte, te tao aum vippa jahamti, vippajahitta tattha arenam cheva je tasa pana, jehim samanovasagassa ayanaso amaranamtae damde nikkhitte, tesu pachchayamti tehim samanovasagassa supachchakkhayam bhavai. Te panavi vuchchamti, te tasa vi vuchchamti, se mahakaya, te chiratthiiya. Te bahuyaraga pana jehim samanovasagassa supachchakkhayam bhavai. Te appayaraga pana jehim samanovasagassa apachchakkhayam bhavai. Se mahaya tasakayao uvasamtassa uvatthiyassa padivirayassa jam nam tubbhe va anno va evam vayaha– ‘natthi nam se kei pariyae jamsi samanovasagassa egapanae vi damde nikkhitte.’ ayam pi bhe uvaese no neyaue bhavai. 5. Tattha ‘arenam je’ thavara pana, jehim samanovasagassa atthae damde anikkhitte anatthae damde nikkhitte, te tao aum vippa jahamti, vippajahitta te tattha arenam cheva je thavara pana, jehim samanovasagassa atthae damde anikkhitte anatthae damde nikkhitte, tesu pachchayamti. Tehim samano-vasagassa ‘atthae damde anikkhitte anatthae damde nikkhitte’. Te panavi vuchchamti, te tasa vi vuchchamti, te mahakaya, te chiratthiiya. Te bahuyaraga pana jehim samanovasagassa supachchakkhayam bhavai. Te appayaraga pana jehim samanovasagassa apachchakkhayam bhavai. Se mahaya tasakayao uvasamtassa uvatthiyassa padivirayassa jam nam tubbhe va anno va evam vayaha– ‘natthi nam se kei pariyae jamsi samanovasagassa egapanae vi damde nikkhitte.’ ayam pi bhe uvaese no neyaue bhavai. 6. Tattha ‘parenam je’ thavara pana jehim samanovasagassa atthae damde anikkhitte anatthae damde nikkhitte, te tao aum vippajahamti, vippajahitta tattha parenam cheva je tasa thavara pana, jehim samanovasagassa ayanaso amaranamtae damde nikkhitte, tesu pachchayamti. Tehim samanovasagassa supachchakkhayam bhavai. Te panavi vuchchamti, te tasa vi vuchchamti, te mahakaya, te chiratthiiya. Te bahuyaraga pana jehim samanovasagassa supachchakkhayam bhavai. Te appayaraga pana jehim samanovasagassa apachchakkhayam bhavai. Se mahaya tasakayao uvasamtassa uvatthiyassa padivirayassa jam nam tubbhe va anno va evam vayaha–’natthi nam se kei pariyae jamsi samanovasagassa egapanae vi damde nikkhitte.’ ayam pi bhe uvaese no neyaue bhavai. 7. Tattha ‘parenam je’ tasathavara pana, jehim samanovasagassa ayanaso amaranamtae damde nikkhitte, te tao aum vippajahamti vippajahitta tattha arenam je tasa pana, jehim samanovasagassa ayanaso amaranamtae damde nikkhitte, tesu pachchayamti. Tehim sama-novasagassa supachchakkhayam bhavai. Te panavi vuchchamti, te tasa vi vuchchamti, te mahakaya, te chiratthiiya. Te bahuyaraga pana jehim samanovasagassa supachchakkhayam bhavai. Te appayaraga pana jehim samanovasagassa apachchakkhayam bhavai. Se mahaya tasakayao uvasamtassa uvatthiyassa padivirayassa jam nam tubbhe va anno va evam vayaha–’natthi nam se kei pariyae jamsi samanovasagassa egapanae vi damde nikkhitte.’ ayam pi bhe uvaese no neyaue bhavai. 8. Tattha ‘parenam je’ tasathavara pana jehim samanovasagassa ayanaso amaranamtae damde nikkhitte, te tao aum vippajahamti, vippajahitta tattha arenam je thavara pana, jehim samano-vasagassa atthae damde anikkhitte anatthae damde nikkhitte, tesu pachchayamti. Tehim samanovasagassa supachchakkhayam bhavai. Te panavi vuchchamti, te tasa vi vuchchamti, te mahakaya, te chiratthiiya. Te bahuyaraga pana jehim samanovasagassa supachchakkhayam bhavai. Te appayaraga pana jehim samanovasagassa apachchakkhayam bhavai. Se mahaya tasakayao uvasamtassa uvatthiyassa padivirayassa jam nam tubbhe va anno va evam vayaha–’natthi nam se kei pariyae jamsi samanovasagassa egapanae vi damde nikkhitte.’ ayam pi bhe uvaese no neyaue bhavai. 9. Tattha parenam je tasathavara pana, jehim samanovasagassa ayanaso amaranamtae damde nikkhitte Te tao aum vippajahamti vippajahitta te tattha parenam cheva je tasathavara pana, jehim samanovasagassa amaranamtae damde nikkhitte, tesu pachchayamti. Tehim samanovasagassa supachchakkhayam bhavai. Te panavi vuchchamti, te tasa vi vuchchamti, te mahakaya, te chiratthiiya. Te bahuyaraga pana jehim samanovasagassa supachchakkhayam bhavai. Te appayaraga pana jehim samanovasagassa apachchakkhayam bhavai. Se mahaya tasakayao uvasamtassa uvatthiyassa padivirayassa jam nam tubbhe va anno va evam vayaha– ‘natthi nam se kei pariyae jamsi samanovasagassa egapanae vi damde nikkhitte.’ ayam pi bhe uvaese no neyaue bhavai. Bhagavam cha nam udahu–na eyam bhuyam na eyam bhavvam ‘na eyam bhavissam’ jannam–tasa pana vochchhijjihimti, thavara pana bhavissamti. Thavara pana vochchhijjihimti, tasa pana bhavissamti. Avochchhinnehim tasathavarehim panehim jannam tubbhe va anno va evam vadaha–’natthi nam se kei pariyae jamsi samanovasagassa egapanae vi damde nikkhitte.’ ayam pi bhe uvaese no neyaue bhavai. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | (1) aisi sthiti mem (shramanopasaka ke vratagrahana ke samaya) svikrita maryada ke (andara) rahane vale jo trasa prani haim, jinaka usane apane vratagrahana ke samaya se lekara mrityuparyanta danda dene ka pratyakhyana kiya hai, ve prani apani ayu ko chhorakara shramanopasaka dvara grihita maryada ke antara kshetrom mem utpanna hote haim, taba bhi shramanopasaka ka pratyakhyana unamem supratyakhyana hota hai. Ve shravaka ki dishamaryada se andara ke kshetra mem pahale bhi trasa the, bada mem bhi maryada ke andara ke kshetra mem trasarupa mem utpanna hote haim isalie ve prani bhi kahalate haim, trasa bhi kahalate haim. Aisi sthiti mem shramanopasaka ke purvokta pratyakhyana ko nirvishaya batana kathamapi nyayayukta nahim hai. (2) shramanopasaka dvara grihita maryada ke andara ke pradesha mem rahane vale jo trasa prani haim, jinako danda dena shramanopasaka ne vratagrahana karane ke samaya se lekara maranaparyanta chhora diya hai; ve jaba ayu ko chhora dete haim aura punah shravaka dvara grihita usi maryada ke andara vale pradesha mem sthavara praniyom mem utpanna hote haim; jinako shramanopasaka ne arthadanda ka tyaga nahim kiya hai, kintu unhem anartha danda karane ka tyaga kiya hai. Atah unako shramanopasaka arthavasha danda deta hai, anartha danda nahim deta. Ve prani bhi kahalate haim, trasa bhi kahalate haim. Ve chirasthitika bhi hote haim. Atah shravaka ka trasapraniyom ki himsa ka aura sthavarapraniyom ki nirarthaka himsa ka pratyakhyana savishaya evam sarthaka hote hue bhi use nirvishaya batana nyayochita nahim hai. (3) (shramanopasaka dvara grihita maryada ke) andara ke pradesha mem jo trasa prani haim, jinako shramanopasaka ne vratagrahana ke samaya se lekara maranaparyanta danda dene ka tyaga kiya hai; ve mrityu ka samaya ane para apani ayu ko chhora dete haim, vaham se deha chhorakara ve nirdharita maryada ke bahara ke pradesha mem, jo trasa aura sthavara prani haim, unake utpanna hote haim, jinamem se trasa praniyom ko to shramanopasaka ne vratagrahana ke samaya se lekara amarananta danda dene ka aura sthavara praniyom ko nirarthaka danda dene ka tyaga kiya hota hai. Atah una praniyom ke sambandha mem shramanopasaka ka pratyakhyana supratyakhyana hota hai. Ve prani bhi kahalate haim yavat chirakala ki sthiti vale bhi hote haim. Atah shravakom ke pratyakhyana ko nirvishaya kahana nyayapurna nahim hai. (4) (shramanopasaka dvara nirdharita bhumi ke) andara vale pradesha mem jo sthavara prani haim, shramanopasaka ne jinako prayojanavasha danda dene ka tyaga nahim kiya hai, kintu bina prayojana ke danda dene ka tyaga kiya hai; ve sthavara prani vaham se apani ayu ko chhora dete haim, ayu chhorakara shramanopasaka dvara svikrita maryada ke andara ke pradesha mem jo trasa prani haim, unamem utpanna hote haim. Taba una praniyom ke vishaya mem kiya hua shramanopasaka ka pratya – khyana supratyakhyana hota hai. Ve prani bhi kahalate haim, trasa bhi; yavat chirasthitika bhi hote haim. Atah trasa ya sthavara praniyom ka abhava manakara shramanopasaka ke pratyakhyana ko nirvishaya batana nyayasamgata nahim hai. (5) shravaka dvara svikrita maryada ke andara ke kshetra mem jo sthavara prani haim, jinako sarthaka danda dene ka tyaga shramanopasaka nahim karata apitu vaha unhem nirarthaka danda dene ka tyaga karata hai. Ve prani ayushya purna hone para usa sharira ko chhora dete haim, usa sharira ko chhorakara shramanopasaka dvara grihita maryadita bhumi ke andara hi jo sthavara prani haim, jinako shramanopasaka ne sarthaka danda dena nahim chhora hai, kintu nirarthaka danda dene ka tyaga kiya hai, unamem utpanna hota hai. Atah ina praniyom ke sambandha mem kiya hua shramanopasaka ka pratyakhyana supratyakhyana hota hai. Ve prani bhi haim, yaham taka ki chirakala ki sthiti vale bhi haim. Atah shramanopasaka ke pratyakhyana ko nirvishaya kahana nyayayukta nahim hai. (6) shravaka dvara svikrita maryadabhumi ke andara jo sthavara prani haim, shramanopasaka ne jinaki sarthaka himsa ka tyaga nahim kiya, kintu nirarthaka himsa ka tyaga kiya hai, ve sthavara prani vaham se ayushyakshaya hone para sharira chhorakara shravaka dvara nirdharita maryadabhumi ke bahara jo trasa aura sthavara prani haim; jinako danda dene ka shramano – pasaka ne vratagrahana ke samaya se marana taka tyaga kiya hua hai, unamem utpanna hote haim. Atah unake sambandha mem kiya hua shramanopasaka ka pratyakhyana supratyakhyana hota hai. Ve prani bhi kahalate haim, yaham taka ki chirakala ki sthiti vale bhi hote haim. Atah shramanopasaka ke pratyakhyana ko nirvishaya batana nyayayukta nahim hai. (7) shramanopasaka dvara nirdharita maryadabhumi se bahara jo trasa – sthavara prani haim, jinako vratagrahana – samaya se mrityuparyanta shramanopasaka ne danda dene ka tyaga kara diya hai; ve prani ayukshina hote hi sharira chhora dete haim, ve shramanopasaka dvara svikrita maryadabhumi ke andara jo trasa prani haim, jinako danda dene ka shramanopasaka ne vratarambha se lekara ayuparyanta tyaga kiya hua hai, unamem utpanna hote haim. Ina praniyom ke sambandha mem shramanopasaka ka pratya – khyana supratyakhyana hota hai. Kyomki ve prani bhi kahalate haim, trasa bhi tatha mahakaya bhi evam chirasthitika bhi hote haim. Atah apake dvara shramanopasaka ke ukta pratyakhyana para nirvishayata ka akshepa nyayasamgata nahim hai. (8) shramanopasaka dvara maryadita kshetra ke bahara jo trasa aura sthavara prani haim, jinako danda dene ka shramanopasaka ne vratagrahana kala se lekara mrityuparyanta tyaga kiya hai; ve prani vaham se ayushya purna hone para shravaka dvara nirdharita maryadita bhumi ke andara jo sthavara prani haim, jinako shramanopasaka ne prayojanavasha danda dene ka tyaga nahim kiya hai, kintu nishprayojana danda dene ka tyaga kiya hai, unamem utpanna hote haim. Atah una praniyom ke sambandha mem shramanopasaka dvara kiya hua pratyakhyana supratyakhyana hai. Ve prani bhi haim, yavat dirghayu bhi hote haim. Phira bhi apake dvara shramanopasaka ke pratyakhyana ko nirvishaya kahana nyayapurna nahim hai. (9) shravaka dvara nirdharita maryadabhumi ke bahara trasa – sthavara prani haim, jinako danda dene ka shramanopasaka ne vratagrahanarambha se lekara maranaparyanta tyaga kara rakha hai; ve prani ayushyakshaya hone para sharira chhora dete haim. Ve usi shramanopasaka dvara nirdharita bhumi ke bahara hi jo trasa – sthavara prani haim, jinako danda dene ka shramanopasaka ne vratagrahana se mrityuparyanta tyaga kiya hua hai, unhim mem punah utpanna hote haim. Atah shramanopasaka dvara kiya gaya pratyakhyana supratyakhyana hai. Ve prani bhi kahalate haim, yavat chirakala taka sthiti vale bhi haim. Aisi sthiti mem apaka yaha kathana nyayayukta nahim ki shramanopasaka ka pratyakhyana nirvishaya hai. (anta mem) bhagavana gautama ne kaha – bhutakala mem aisa kadapi nahim hua, na vartamana mem aisa hota hai aura na hi bhavishya mem aisa hoga ki trasa – prani sarvatha uchchhinna ho jaemge, aura saba ke saba prani sthavara ho jaemge, athava sthavara prani sarvatha uchchhinna ho jaemge aura ve saba ke saba prani trasa ho jaemge. Trasa aura sthavara praniyom ko sarvatha uchchheda na hone para bhi apaka yaha kathana ki koi aisa paryaya nahim hai, jisako lekara shramanopasaka ka pratyakhyana supratyakhyana ho, yavat apaka yaha mantavya nyayasamgata nahim hai. |