Sutra Navigation: Acharang ( आचारांग सूत्र )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 1000463 | ||
Scripture Name( English ): | Acharang | Translated Scripture Name : | आचारांग सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
श्रुतस्कंध-२ चूलिका-१ अध्ययन-३ इर्या |
Translated Chapter : |
श्रुतस्कंध-२ चूलिका-१ अध्ययन-३ इर्या |
Section : | उद्देशक-३ | Translated Section : | उद्देशक-३ |
Sutra Number : | 463 | Category : | Ang-01 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] से भिक्खू वा भिक्खुणी वा गामाणुगामं दूइज्जमाणे अंतरा से पाडिपहिया उवागच्छेज्जा। ते णं पाडिपहिया एवं वदेज्जा– आउसंतो! समणा! अवियाइं एत्तो पडिपहे पासह, तं जहा– मणुस्सं वा, गोणं वा, महिसं वा, पसुं वा, पक्खिं वा, सरी-सिवं वा, जलयरं वा? से आइक्खह, दंसेह। तं नो आइक्खेज्जा, नो दंसेज्जा, नो तेसिं तं परिण्णं परिजाणेज्जा, तुसिणीओ उवेहेज्जा, जाणं वा नो जाणंति वएज्जा, तओ संजयामेव गामाणुगामं दूइज्जेज्जा। से भिक्खू वा भिक्खुणी वा गामाणुगामं दूइज्जमाणे अंतरा से पाडिपहिया उवागच्छेज्जा। ते णं पाडिपहिया एवं वएज्जा–आउसंतो! समणा! अवियाइं एत्तो पडिपहे पासह–उदगपसूयाणि कंदाणि वा, मूलाणि वा, ‘तयाणि वा पत्ताणि वा, पुप्फाणि वा, फलाणि वा, बीयाणि वा, हरियाणि वा’, उदग वा संणिहियं, अगणिं वा संनिक्खित्तं? से आइक्खह, दंसेह। तं नो आइक्खेज्जा, नो दंसेज्जा, नो तेसिं तं परिण्णं परिजाणेज्जा, तुसिणीओ उवेहेज्जा, जाणं वा णोजाणंति वएज्जा, तओ संजयामेव गामाणुगामं दूइज्जेज्जा। से भिक्खू वा भिक्खुणी वा गामाणुगामं दूइज्जमाणे अंतरा से पाडिपहिया उवागच्छेज्जा। ते णं पाडिपहिया एवं वएज्जा–आउसंतो! समणा! अवियाइं एत्तो पडिपहे पासह–जवसाणि वा, सगडाणि वा, रहाणि वा, सचक्काणि वा, परचक्काणि वा, सेणं वा विरूवरूवं संनिविट्ठं? से आइक्खह, दंसेह। तं नो आइक्खेज्जा, नो दंसेज्जा, नो तेसिं तं परिण्णं परिजाणेज्जा, तुसिणीओ उवेहेज्जा, जाणं वा नो जाणंति वएज्जा, तओ संजयामेव गामाणुगामं दूइज्जेज्जा। से भिक्खू वा भिक्खुणी वा गामाणुगामं दूइज्जमाणे अंतरा से पाडिपहिया उवागच्छेज्जा। तेणं पाडिपहिया एवं वदेज्जा–आउसंतो! समणा! केवइए एत्तो गामे वा, नगरे वा, खेडे वा, कव्वडे वा, मडंबे वा, पट्टणे वा, दोणमुहे वा, आगरे वा, निगमे वा, आसमे वा, सन्निवेसे वा, रायहाणी वा? से आइक्खह, दंसेह। तं नो आइक्खेज्जा, नो दंसेज्जा, नो तेसिं तं परिण्णं परिजाणेज्जा, तुसिणीओ उवेहेज्जा, जाणं वा नो जाणंति वएज्जा, तओ संजयामेव गामाणुगामं दूइज्जेज्जा। से भिक्खू वा भिक्खुणी वा गामाणुगामं दूइज्जमाणे अंतरा से पाडिपहिया उवागच्छेज्जा। ते णं पाडिपहिया एवं वदेज्जा– आउसंतो! समणा! केवइए एत्तो गामस्स वा, नगरस्स वा, खेडस्स वा, कव्वडस्स वा, मडंबस्स वा, पट्टणस्स वा, दोणमुहस्स वा, आगरस्स वा, णिगमस्स वा, आसमस्स वा, सन्निवेसस्स वा रायहाणीए वा मग्गे? मे आइक्खह, दंसेह। तं नो आइक्खेज्जा, नो दंसेज्जा, नो तेसिं तं परिण्णं परिजाणेज्जा, तुसिणीओ उवेहेज्जा, जाणं वा नो जाणंति वएज्जा, तओ संजयामेव गामाणुगामं दूइज्जेज्जा। | ||
Sutra Meaning : | रत्नाधिक साधुओं के साथ ग्रामानुग्राम विहार करने वाले साधु को मार्ग में यदि सामने से आते हुए कुछ प्रातिपथिक मिले और वे यों पूछे कि – ‘‘आप कौन हैं ? कहाँ से आए हैं ? और कहाँ जाएंगे ?’’ (ऐसा पूछने पर) जो उन साधुओं में सबसे रत्नाधिक वे उनको सामान्य या विशेष रूप से उत्तर देंगे। तब वह साधु बीच में न बोले। किन्तु मौन रहकर ईर्यासमिति का ध्यान रखता हुआ उनके साथ ग्रामानुग्राम विहार करे। संयमशील साधु या साध्वी को ग्रामानुग्राम विहार करते हुए रास्ते में सामने से कुछ पथिक निकट आ जाएं और वे यों पूछे ‘‘क्या आपने इस मार्ग में किसी मनुष्य को, मृग को, भैंसे को, पशु या पक्षी को, सर्प को या किसी जलचर जन्तु को जाते हुए देखा है ? वे किस ओर गए हैं ?’’ साधु न तो उन्हें कुछ बतलाए, न मार्गदर्शन करे, न ही उनकी बात को स्वीकार करे, बल्कि कोई उत्तर न देकर उदासीनतापूर्वक मौन रहे। अथवा जानता हुआ भी मैं नहीं जानता, ऐसा कहे। फिर यतनापूर्वक ग्रामानुग्राम विहार करे। ग्रामानुग्राम विहार करते हुए साधु को मार्ग में सामने से कुछ पथिक निकट आ जाएं और वे साधु से यों पूछे ‘‘क्या आपने इस मार्ग में जल में पैदा होने वाले कन्द, या मूल, अथवा छाल, पत्ते, फूल, फल, बीज, हरित अथवा संग्रह किया हुआ पेयजल या निकटवर्ती जल का स्थान, अथवा एक जगह रखी हुई अग्नि देखी है ?’’ साधु न तो उन्हें कुछ बताए, तत्पश्चात् यतनापूर्वक ग्रामानुग्राम विहार करे। ग्रामानुग्राम विहार करते हुए साधु – साध्वी को मार्ग में सामने से आते हुए पथिक निकट आकर पूछे कि ‘‘क्या आपने इस मार्ग में जौ, गेहूँ आदि धान्यों का ढ़ेर, रथ, बैलगाड़ियाँ, या स्वचक्र या परचक्र के शासन के सैन्य के नाना प्रकार के पड़ाव देखे हैं ? इस पर साधु उन्हें कुछ भी न बताए, तदनन्तर यतनापूर्वक ग्रामानुग्राम विहार करे। ग्रामानुग्राम विहार करते हुए साधु – साध्वी को यदि मार्ग मं कहीं प्रातिपथिक मिल जाएं और वे उससे पूछे कि यह गाँव कैसा है, या कितना बड़ा है ? यावत् राजधानी कैसी है या कितनी बड़ी है ? यहाँ कितने मनुष्य यावत् ग्रामयाचक रहते हैं ? तो उनकी बात को स्वीकार न करे, न ही कुछ बताए। मौन धारण करके रहे। संयमपूर्वक ग्रामानुग्राम विहार करे। ग्रामानुग्राम विहार करते समय साधु – साध्वी को मार्ग में सम्मुख आते हुए कुछ पथिक मिल जाए और वे उससे पूछे – ‘आयुष्मन् श्रमण ! यहाँ से ग्राम यावत् राजधानी कितनी दूर हैं ? तथा यहाँ से ग्राम यावत् राजधानी का मार्ग अब कितना शेष रहा है ?’ साधु इन प्रश्नों के उत्तर में कुछ भी न कहे, न ही कुछ बताए, वह उनकी बात को स्वीकार न करे, बल्कि मौन धारण करके रहे। और फिर यतनापूर्वक ग्रामानुग्राम विहार करे। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] se bhikkhu va bhikkhuni va gamanugamam duijjamane amtara se padipahiya uvagachchhejja. Te nam padipahiya evam vadejja– ausamto! Samana! Aviyaim etto padipahe pasaha, tam jaha– manussam va, gonam va, mahisam va, pasum va, pakkhim va, sari-sivam va, jalayaram va? Se aikkhaha, damseha. Tam no aikkhejja, no damsejja, no tesim tam parinnam parijanejja, tusinio uvehejja, janam va no janamti vaejja, tao samjayameva gamanugamam duijjejja. Se bhikkhu va bhikkhuni va gamanugamam duijjamane amtara se padipahiya uvagachchhejja. Te nam padipahiya evam vaejja–ausamto! Samana! Aviyaim etto padipahe pasaha–udagapasuyani kamdani va, mulani va, ‘tayani va pattani va, pupphani va, phalani va, biyani va, hariyani va’, udaga va samnihiyam, aganim va samnikkhittam? Se aikkhaha, damseha. Tam no aikkhejja, no damsejja, no tesim tam parinnam parijanejja, tusinio uvehejja, janam va nojanamti vaejja, tao samjayameva gamanugamam duijjejja. Se bhikkhu va bhikkhuni va gamanugamam duijjamane amtara se padipahiya uvagachchhejja. Te nam padipahiya evam vaejja–ausamto! Samana! Aviyaim etto padipahe pasaha–javasani va, sagadani va, rahani va, sachakkani va, parachakkani va, senam va viruvaruvam samnivittham? Se aikkhaha, damseha. Tam no aikkhejja, no damsejja, no tesim tam parinnam parijanejja, tusinio uvehejja, janam va no janamti vaejja, tao samjayameva gamanugamam duijjejja. Se bhikkhu va bhikkhuni va gamanugamam duijjamane amtara se padipahiya uvagachchhejja. Tenam padipahiya evam vadejja–ausamto! Samana! Kevaie etto game va, nagare va, khede va, kavvade va, madambe va, pattane va, donamuhe va, agare va, nigame va, asame va, sannivese va, rayahani va? Se aikkhaha, damseha. Tam no aikkhejja, no damsejja, no tesim tam parinnam parijanejja, tusinio uvehejja, janam va no janamti vaejja, tao samjayameva gamanugamam duijjejja. Se bhikkhu va bhikkhuni va gamanugamam duijjamane amtara se padipahiya uvagachchhejja. Te nam padipahiya evam vadejja– ausamto! Samana! Kevaie etto gamassa va, nagarassa va, khedassa va, kavvadassa va, madambassa va, pattanassa va, donamuhassa va, agarassa va, nigamassa va, asamassa va, sannivesassa va rayahanie va magge? Me aikkhaha, damseha. Tam no aikkhejja, no damsejja, no tesim tam parinnam parijanejja, tusinio uvehejja, janam va no janamti vaejja, tao samjayameva gamanugamam duijjejja. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Ratnadhika sadhuom ke satha gramanugrama vihara karane vale sadhu ko marga mem yadi samane se ate hue kuchha pratipathika mile aura ve yom puchhe ki – ‘‘apa kauna haim\? Kaham se ae haim\? Aura kaham jaemge\?’’ (aisa puchhane para) jo una sadhuom mem sabase ratnadhika ve unako samanya ya vishesha rupa se uttara demge. Taba vaha sadhu bicha mem na bole. Kintu mauna rahakara iryasamiti ka dhyana rakhata hua unake satha gramanugrama vihara kare. Samyamashila sadhu ya sadhvi ko gramanugrama vihara karate hue raste mem samane se kuchha pathika nikata a jaem aura ve yom puchhe ‘‘kya apane isa marga mem kisi manushya ko, mriga ko, bhaimse ko, pashu ya pakshi ko, sarpa ko ya kisi jalachara jantu ko jate hue dekha hai\? Ve kisa ora gae haim\?’’ sadhu na to unhem kuchha batalae, na margadarshana kare, na hi unaki bata ko svikara kare, balki koi uttara na dekara udasinatapurvaka mauna rahe. Athava janata hua bhi maim nahim janata, aisa kahe. Phira yatanapurvaka gramanugrama vihara kare. Gramanugrama vihara karate hue sadhu ko marga mem samane se kuchha pathika nikata a jaem aura ve sadhu se yom puchhe ‘‘kya apane isa marga mem jala mem paida hone vale kanda, ya mula, athava chhala, patte, phula, phala, bija, harita athava samgraha kiya hua peyajala ya nikatavarti jala ka sthana, athava eka jagaha rakhi hui agni dekhi hai\?’’ sadhu na to unhem kuchha batae, tatpashchat yatanapurvaka gramanugrama vihara kare. Gramanugrama vihara karate hue sadhu – sadhvi ko marga mem samane se ate hue pathika nikata akara puchhe ki ‘‘kya apane isa marga mem jau, gehum adi dhanyom ka rhera, ratha, bailagariyam, ya svachakra ya parachakra ke shasana ke sainya ke nana prakara ke parava dekhe haim\? Isa para sadhu unhem kuchha bhi na batae, tadanantara yatanapurvaka gramanugrama vihara kare. Gramanugrama vihara karate hue sadhu – sadhvi ko yadi marga mam kahim pratipathika mila jaem aura ve usase puchhe ki yaha gamva kaisa hai, ya kitana bara hai\? Yavat rajadhani kaisi hai ya kitani bari hai\? Yaham kitane manushya yavat gramayachaka rahate haim\? To unaki bata ko svikara na kare, na hi kuchha batae. Mauna dharana karake rahe. Samyamapurvaka gramanugrama vihara kare. Gramanugrama vihara karate samaya sadhu – sadhvi ko marga mem sammukha ate hue kuchha pathika mila jae aura ve usase puchhe – ‘ayushman shramana ! Yaham se grama yavat rajadhani kitani dura haim\? Tatha yaham se grama yavat rajadhani ka marga aba kitana shesha raha hai\?’ sadhu ina prashnom ke uttara mem kuchha bhi na kahe, na hi kuchha batae, vaha unaki bata ko svikara na kare, balki mauna dharana karake rahe. Aura phira yatanapurvaka gramanugrama vihara kare. |