Sutra Navigation: Acharang ( आचारांग सूत्र )

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Sr No : 1000230
Scripture Name( English ): Acharang Translated Scripture Name : आचारांग सूत्र
Mool Language : Ardha-Magadhi Translated Language : Hindi
Chapter :

श्रुतस्कंध-१

अध्ययन-८ विमोक्ष

Translated Chapter :

श्रुतस्कंध-१

अध्ययन-८ विमोक्ष

Section : उद्देशक-५ ग्लान भक्त परिज्ञा Translated Section : उद्देशक-५ ग्लान भक्त परिज्ञा
Sutra Number : 230 Category : Ang-01
Gatha or Sutra : Sutra Sutra Anuyog :
Author : Deepratnasagar Original Author : Gandhar
 
Century : Sect : Svetambara1
Source :
 
Mool Sutra : [सूत्र] जस्स णं भिक्खुस्स अयं पगप्पे–अहं च खलु पडिण्णत्तो अपडिण्णत्तेहिं, गिलानो अगिलाणेहिं, अभिकंख साह-म्मिएहिं कीरमाणं वेयावडियं सातिज्जिस्सामि। अहं वा वि खलु अपडिण्णत्तो पडिण्णत्तस्स, अगिलानो गिलाणस्स, अभिकंख साहम्मिअस्स कुज्जा वेयावडियं करणाए। आहट्टु पइण्णं आणक्खेस्सामि, आहडं च सातिज्जिस्सामि, आहट्टु पइण्णं आणक्खेस्सामि, आहडं च णोसाति-ज्जिस्सामि, आहट्टु पइण्णं णोआणक्खेस्सामि, आहडं च सातिज्जिस्सामि, आहट्टु पइण्णं णोआणक्खेस्सामि, आहडं च णोसाति-ज्जिस्सामि। ‘लाघवियं आगममाणे। तवे से अभिसमण्णागए भवति। जमेयं भगवता पवेदितं, तमेव अभिसमेच्चा सव्वतो सव्वताए समत्तमेव समभिजाणिया। एवं से अहाकिट्टियमेव धम्मं समहिजाणमाणे संते विरते सुसमाहितलेसे। तत्थावि तस्स कालपरियाए। से तत्थ विअंतिकारए। इच्चेतं विमोहायतणं हियं, सुहं, खमं, णिस्सेयसं, आणुगामियं।
Sutra Meaning : जिस भिक्षु का यह प्रकल्प होता है कि मैं ग्लान हूँ, मेरे साधर्मिक साधु अग्लान हैं, उन्होंने मुझे सेवा करने का वचन दिया है, यद्यपि मैंने अपनी सेवा के लिए उनसे निवेदन नहीं किया है, तथापि निर्जरा की अभिकांक्षा से साधर्मिकों द्वारा की जाने वाली सेवा मैं रुचिपूर्वक स्वीकार करूँगा। (१) (अथवा) मेरा साधर्मिक भिक्षु ग्लान है, मैं अग्लान हूँ; उसने अपनी सेवा के लिए मुझे अनुरोध नहीं किया है, (पर) मैंने उसकी सेवा के लिए उसे वचन दिया है। अतः निर्जरा के उद्देश्य से उस साधर्मिक की मैं सेवा करूँगा। जिस भिक्षु का ऐसा प्रकल्प हो, वह उसका पालन करता हुआ प्राण त्याग कर दे, (प्रतिज्ञा भंग न करे)। (२) कोई भिक्षु ऐसी प्रतिज्ञा लेता है कि मैं अपने ग्लान साधर्मिक भिक्षु के लिए आहारादि लाऊंगा, तथा उनके द्वारा लाये हुए आहारादि का सेवन भी करूँगा। (३) (अथवा) कोई भिक्षु ऐसी प्रतिज्ञा लेता है कि मैं अपने ग्लान साधर्मिक भिक्षु के लिए आहारादि लाऊंगा, लेकिन उनके द्वारा लाये हुए आहारादि का सेवन नहीं करूँगा। (४) (अथवा) कोई भिक्षु ऐसी प्रतिज्ञा लेता है कि मैं साधर्मिकों के लिए आहारादि नहीं लाऊंगा, किन्तु उनके द्वारा लाया हुआ सेवन करूँगा। (५) (अथवा) कोई भिक्षु प्रतिज्ञा करता है कि न तो मैं साधर्मिकों के लिए आहारादि लाऊंगा और न ही मैं उनके द्वारा लाये हुए आहारादि का सेवन करूँगा। (६) (यों उक्त छः प्रकार की प्रतिज्ञा भंग न करे, भले ही वह जीवन का उत्सर्ग कर दे।) आहार – विमोक्ष साधक को अनायास ही तप का लाभ प्राप्त हो जाता है। भगवान ने जिस रूप में इसका प्रतिपादन किया है, उसे उसी रूप में निकट से जानकर सब प्रकार से सर्वात्मना समत्व या सम्यक्त्व का सेवन करे। इस प्रकार वह भिक्षु तीर्थंकरों द्वारा जिस रूप में धर्म प्ररूपित हुआ है, उसी रूप में सम्यक्‌रूप से जानता और आचरण करता हुआ, शान्त विरत और अपने अन्तःकरण की प्रशस्त वृत्तियों में अपनी आत्मा को सुसमाहित करने वाला होता है। उसकी वह मृत्यु काल – मृत्यु है। वह अन्तक्रिया करने वाला भी हो सकता है। इस प्रकार यह शरीरादि मोह से विमुक्त भिक्षुओं का अयतन है, हितकर है, सुखकर है, सक्षम है, निःश्रेयस्कर है और परलोक में भी साथ चलने वाला है। ऐसा मैं कहता हूँ।
Mool Sutra Transliteration : [sutra] jassa nam bhikkhussa ayam pagappe–aham cha khalu padinnatto apadinnattehim, gilano agilanehim, abhikamkha saha-mmiehim kiramanam veyavadiyam satijjissami. Aham va vi khalu apadinnatto padinnattassa, agilano gilanassa, abhikamkha sahammiassa kujja veyavadiyam karanae. Ahattu painnam anakkhessami, ahadam cha satijjissami, ahattu painnam anakkhessami, ahadam cha nosati-jjissami, ahattu painnam noanakkhessami, ahadam cha satijjissami, ahattu painnam noanakkhessami, ahadam cha nosati-jjissami. ‘laghaviyam agamamane. Tave se abhisamannagae bhavati. Jameyam bhagavata paveditam, tameva abhisamechcha savvato savvatae samattameva samabhijaniya. Evam se ahakittiyameva dhammam samahijanamane samte virate susamahitalese. Tatthavi tassa kalapariyae. Se tattha viamtikarae. Ichchetam vimohayatanam hiyam, suham, khamam, nisseyasam, anugamiyam.
Sutra Meaning Transliteration : Jisa bhikshu ka yaha prakalpa hota hai ki maim glana hum, mere sadharmika sadhu aglana haim, unhomne mujhe seva karane ka vachana diya hai, yadyapi maimne apani seva ke lie unase nivedana nahim kiya hai, tathapi nirjara ki abhikamksha se sadharmikom dvara ki jane vali seva maim ruchipurvaka svikara karumga. (1) (athava) mera sadharmika bhikshu glana hai, maim aglana hum; usane apani seva ke lie mujhe anurodha nahim kiya hai, (para) maimne usaki seva ke lie use vachana diya hai. Atah nirjara ke uddeshya se usa sadharmika ki maim seva karumga. Jisa bhikshu ka aisa prakalpa ho, vaha usaka palana karata hua prana tyaga kara de, (pratijnya bhamga na kare). (2) Koi bhikshu aisi pratijnya leta hai ki maim apane glana sadharmika bhikshu ke lie aharadi laumga, tatha unake dvara laye hue aharadi ka sevana bhi karumga. (3) (athava) koi bhikshu aisi pratijnya leta hai ki maim apane glana sadharmika bhikshu ke lie aharadi laumga, lekina unake dvara laye hue aharadi ka sevana nahim karumga. (4) (athava) koi bhikshu aisi pratijnya leta hai ki maim sadharmikom ke lie aharadi nahim laumga, kintu unake dvara laya hua sevana karumga. (5) (athava) koi bhikshu pratijnya karata hai ki na to maim sadharmikom ke lie aharadi laumga aura na hi maim unake dvara laye hue aharadi ka sevana karumga. (6) (yom ukta chhah prakara ki pratijnya bhamga na kare, bhale hi vaha jivana ka utsarga kara de.) Ahara – vimoksha sadhaka ko anayasa hi tapa ka labha prapta ho jata hai. Bhagavana ne jisa rupa mem isaka pratipadana kiya hai, use usi rupa mem nikata se janakara saba prakara se sarvatmana samatva ya samyaktva ka sevana kare. Isa prakara vaha bhikshu tirthamkarom dvara jisa rupa mem dharma prarupita hua hai, usi rupa mem samyakrupa se janata aura acharana karata hua, shanta virata aura apane antahkarana ki prashasta vrittiyom mem apani atma ko susamahita karane vala hota hai. Usaki vaha mrityu kala – mrityu hai. Vaha antakriya karane vala bhi ho sakata hai. Isa prakara yaha shariradi moha se vimukta bhikshuom ka ayatana hai, hitakara hai, sukhakara hai, sakshama hai, nihshreyaskara hai aura paraloka mem bhi satha chalane vala hai. Aisa maim kahata hum.