Sutra Navigation: Acharang ( आचारांग सूत्र )
Search Details
Mool File Details |
|
Anuvad File Details |
|
Sr No : | 1000224 | ||
Scripture Name( English ): | Acharang | Translated Scripture Name : | आचारांग सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
श्रुतस्कंध-१ अध्ययन-८ विमोक्ष |
Translated Chapter : |
श्रुतस्कंध-१ अध्ययन-८ विमोक्ष |
Section : | उद्देशक-४ वेहासनादि मरण | Translated Section : | उद्देशक-४ वेहासनादि मरण |
Sutra Number : | 224 | Category : | Ang-01 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] जे भिक्खू तिहिं वत्थेहिं परिवुसिते पायचउत्थेहिं, तस्स णं नो एवं भवति–चउत्थं वत्थं जाइस्सामि। से अहेसणिज्जाइं वत्थाइं जाएज्जा। अहापरिग्गहियाइं वत्थाइं धारेज्जा। नो धोएज्जा, नो रएज्जा, नो धोय-रत्ताइं वत्थाइं धारेज्जा। अपलिउंचमाणे गामंतरेसु। ओमचेलिए। एयं खु वत्थधारिस्स सामग्गियं। | ||
Sutra Meaning : | जो भिक्षु तीन वस्त्र और चौथा पात्र रखने की मर्यादा में स्थित है, उसके मन में ऐसा अध्यवसाय नहीं होता कि ‘मैं चौथे वस्त्र की याचना करूँगा। वह यथा – एषणीय वस्त्रों की याचना करे और यथापरिगृहीत वस्त्रों को धारण करे। वह उन वस्त्रों को न तो धोए और न रंगे, न धोए – रंगे हुए वस्त्रों को धारण करे। दूसरे ग्रामों में जाते समय वह उन वस्त्रों को बिना छिपाए हुए चले। वह मुनि स्वल्प और अतिसाधारण वस्त्र रखे। वस्त्रधारी मुनि की यही सामग्री है | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] je bhikkhu tihim vatthehim parivusite payachautthehim, tassa nam no evam bhavati–chauttham vattham jaissami. Se ahesanijjaim vatthaim jaejja. Ahapariggahiyaim vatthaim dharejja. No dhoejja, no raejja, no dhoya-rattaim vatthaim dharejja. Apaliumchamane gamamtaresu. Omachelie. Eyam khu vatthadharissa samaggiyam. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Jo bhikshu tina vastra aura chautha patra rakhane ki maryada mem sthita hai, usake mana mem aisa adhyavasaya nahim hota ki ‘maim chauthe vastra ki yachana karumga. Vaha yatha – eshaniya vastrom ki yachana kare aura yathaparigrihita vastrom ko dharana kare. Vaha una vastrom ko na to dhoe aura na ramge, na dhoe – ramge hue vastrom ko dharana kare. Dusare gramom mem jate samaya vaha una vastrom ko bina chhipae hue chale. Vaha muni svalpa aura atisadharana vastra rakhe. Vastradhari muni ki yahi samagri hai |