Sutra Navigation: Acharang ( आचारांग सूत्र )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 1000208 | ||
Scripture Name( English ): | Acharang | Translated Scripture Name : | आचारांग सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
श्रुतस्कंध-१ अध्ययन-६ द्युत |
Translated Chapter : |
श्रुतस्कंध-१ अध्ययन-६ द्युत |
Section : | उद्देशक-५ उपसर्ग सन्मान विधूनन | Translated Section : | उद्देशक-५ उपसर्ग सन्मान विधूनन |
Sutra Number : | 208 | Category : | Ang-01 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] अणुवीइ भिक्खू धम्ममाइक्खमाणे–नो अत्ताणं आसाएज्जा, नो परं आसाएज्जा, नो अण्णाइं पाणाइं भूयाइं जीवाइं सत्ताइं आसाएज्जा। से अणासादए अणासादमाणे वुज्झमाणाणं पाणाणं भूयाणं जीवाणं सत्ताणं, जहा से दीवे असंदीणे, एवं से भवइ सरणं महामुनी। एवे से उट्ठिए ठियप्पा, अनिहे अचले चले, अबहिलेस्से परिव्वए। संखाय पेसलं धम्मं, दिट्ठिमं परिणिव्वुडे। तम्हा संगं ति पासह। गंथेहिं गढिया णरा, विसण्णा कामविप्पिया। ‘तम्हा लूहाओ णोपरिवित्तसेज्जा’। जस्सिमे आरंभा सव्वतो सव्वत्ताए सुपरिण्णाया भवंति, ‘जेसिमे लूसिनो णोपरिवित्तसंति’, से वंता कोहं च माणं च मायं च लोभं च। एस तुट्टे वियाहिते | ||
Sutra Meaning : | भिक्षु विवेकपूर्वक धर्म का व्याख्यान करता हुआ अपने आपको बाधा न पहुँचाए, न दूसरे को बाधा पहुँचाए और न ही अन्य प्राणों, भूतों, जीवों और सत्त्वों को बाधा पहुँचाए। किसी भी प्राणी को बाधा न पहुँचाने वाला तथा जिससे प्राण, भूत, जीव और सत्त्व का वध हो, तथा आहारादि की प्राप्ति के निमित्त भी (धर्मोपदेश न करने वाला) वह महामुनि संसार – प्रवाह में डूबते हुए प्राणों, भूतों, जीवों और सत्त्वों के लिए असंदीन द्वीप की तरह शरण होता है। इस प्रकार वह (संयम में) उत्थित, स्थितात्मा, अस्नेह, अनासक्त, अविचल, चल, अध्यवसाय को संयम से बाहर न ले जाने वाला मुनि होकर परिव्रजन करे। वह सम्यग्दृष्टि मुनि पवित्र उत्तम धर्म को सम्यक्रूप में जानकर (कषायों और विषयों) को सर्वथा उपशान्त करे। इसके लिए तुम आसक्ति को देखो। ग्रन्थी में गृद्ध और उनमें निमग्न बने हुए, मनुष्य कामों से आक्रान्त होते हैं। इसलिए मुनि निःसंग रूप संयम से उद्विग्न – खेदखिन्न न हो। जिन संगरूप आरम्भों से हिंसक वृत्ति वाले मनुष्य उद्विग्न नहीं होते, ज्ञानी मुनि उन सब आरम्भों को सब प्रकार से, सर्वात्मना त्याग देते हैं। वे ही मुनि क्रोध, मान, माया और लोभ का वमन करने वाले होते हैं। ऐसा मुनि त्रोटक कहलाता है। ऐसा मैं कहता हूँ। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] anuvii bhikkhu dhammamaikkhamane–no attanam asaejja, no param asaejja, no annaim panaim bhuyaim jivaim sattaim asaejja. Se anasadae anasadamane vujjhamananam pananam bhuyanam jivanam sattanam, jaha se dive asamdine, evam se bhavai saranam mahamuni. Eve se utthie thiyappa, anihe achale chale, abahilesse parivvae. Samkhaya pesalam dhammam, ditthimam parinivvude. Tamha samgam ti pasaha. Gamthehim gadhiya nara, visanna kamavippiya. ‘tamha luhao noparivittasejja’. Jassime arambha savvato savvattae suparinnaya bhavamti, ‘jesime lusino noparivittasamti’, se vamta koham cha manam cha mayam cha lobham cha. Esa tutte viyahite | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Bhikshu vivekapurvaka dharma ka vyakhyana karata hua apane apako badha na pahumchae, na dusare ko badha pahumchae aura na hi anya pranom, bhutom, jivom aura sattvom ko badha pahumchae. Kisi bhi prani ko badha na pahumchane vala tatha jisase prana, bhuta, jiva aura sattva ka vadha ho, tatha aharadi ki prapti ke nimitta bhi (dharmopadesha na karane vala) vaha mahamuni samsara – pravaha mem dubate hue pranom, bhutom, jivom aura sattvom ke lie asamdina dvipa ki taraha sharana hota hai. Isa prakara vaha (samyama mem) utthita, sthitatma, asneha, anasakta, avichala, chala, adhyavasaya ko samyama se bahara na le jane vala muni hokara parivrajana kare. Vaha samyagdrishti muni pavitra uttama dharma ko samyakrupa mem janakara (kashayom aura vishayom) ko sarvatha upashanta kare. Isake lie tuma asakti ko dekho. Granthi mem griddha aura unamem nimagna bane hue, manushya kamom se akranta hote haim. Isalie muni nihsamga rupa samyama se udvigna – khedakhinna na ho. Jina samgarupa arambhom se himsaka vritti vale manushya udvigna nahim hote, jnyani muni una saba arambhom ko saba prakara se, sarvatmana tyaga dete haim. Ve hi muni krodha, mana, maya aura lobha ka vamana karane vale hote haim. Aisa muni trotaka kahalata hai. Aisa maim kahata hum. |