Sutra Navigation: Acharang ( आचारांग सूत्र )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 1000147 | ||
Scripture Name( English ): | Acharang | Translated Scripture Name : | आचारांग सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
श्रुतस्कंध-१ अध्ययन-४ सम्यक्त्व |
Translated Chapter : |
श्रुतस्कंध-१ अध्ययन-४ सम्यक्त्व |
Section : | उद्देशक-३ अनवद्यतप | Translated Section : | उद्देशक-३ अनवद्यतप |
Sutra Number : | 147 | Category : | Ang-01 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] उवेह एणं बहिया य लोयं, से सव्वलोगंसि जे केइ विण्णू । अणुवीइ पास निक्खित्तदंडा, जे केइ सत्ता पलियं चयंति ॥ नरा मुयच्चा धम्मविदु त्ति अंजू। आरंभजं दुक्खमिणंति नच्चा, एवमाहु समत्तदंसिणो। ते सव्वे पावाइया दुक्खस्स कुसला परिण्णमुदाहरंति। इति कम्म परिण्णाय सव्वसो। | ||
Sutra Meaning : | इस (पूर्वोक्त अहिंसादि धर्म से) विमुख जो लोग हैं, उनकी उपेक्षा कर ! जो ऐसा करता है, वह समस्त मनुष्य लोक में अग्रणी विज्ञ है। तू अनुचिन्तन करके देख – जिन्होंने दण्ड का त्याग किया है, (वे ही श्रेष्ठ विद्वान होते हैं।) जो सत्त्वशील मनुष्य धर्म के सम्यक् विशेषज्ञ होते हैं, वे ही कर्म का क्षय करते हैं। ऐसे मनुष्य धर्मवेत्ता होते हैं, अतएव वे सरल होते हैं, शरीर के प्रति अनासक्त या कषायरूपी अर्चा को विनष्ट किये हुए होते हैं। इस दुःख को आरम्भ से उत्पन्न हुआ जानकर (समस्त हिंसा का त्याग करना चाहिए) ऐसा समत्वदर्शियों ने कहा है। वे सब प्रावादिक होते हैं, वे दुःख को जानने में कुशल होते हैं। इसलिए वे कर्मों को सब प्रकार से जानकर उनको त्याग करने का उपदेश देते हैं। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] uveha enam bahiya ya loyam, se savvalogamsi je kei vinnu. Anuvii pasa nikkhittadamda, je kei satta paliyam chayamti. Nara muyachcha dhammavidu tti amju. Arambhajam dukkhaminamti nachcha, evamahu samattadamsino. Te savve pavaiya dukkhassa kusala parinnamudaharamti. Iti kamma parinnaya savvaso. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Isa (purvokta ahimsadi dharma se) vimukha jo loga haim, unaki upeksha kara ! Jo aisa karata hai, vaha samasta manushya loka mem agrani vijnya hai. Tu anuchintana karake dekha – jinhomne danda ka tyaga kiya hai, (ve hi shreshtha vidvana hote haim.) jo sattvashila manushya dharma ke samyak visheshajnya hote haim, ve hi karma ka kshaya karate haim. Aise manushya dharmavetta hote haim, ataeva ve sarala hote haim, sharira ke prati anasakta ya kashayarupi archa ko vinashta kiye hue hote haim. Isa duhkha ko arambha se utpanna hua janakara (samasta himsa ka tyaga karana chahie) aisa samatvadarshiyom ne kaha hai. Ve saba pravadika hote haim, ve duhkha ko janane mem kushala hote haim. Isalie ve karmom ko saba prakara se janakara unako tyaga karane ka upadesha dete haim. |