Sutra Navigation: Acharang ( आचारांग सूत्र )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 1000038 | ||
Scripture Name( English ): | Acharang | Translated Scripture Name : | आचारांग सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
श्रुतस्कंध-१ अध्ययन-१ शस्त्र परिज्ञा |
Translated Chapter : |
श्रुतस्कंध-१ अध्ययन-१ शस्त्र परिज्ञा |
Section : | उद्देशक-४ अग्निकाय | Translated Section : | उद्देशक-४ अग्निकाय |
Sutra Number : | 38 | Category : | Ang-01 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] से बेमि– अप्पेगे अंधमब्भे, अप्पेगे अंधमच्छे। अप्पेगे पायमब्भे, अप्पेगे पायमच्छे।(जाव) अप्पेगे संपमारए, अप्पेगे उद्दवए। से बेमि– संति पाणा पुढवि- निस्सिया, तण- निस्सिया, पत्त- निस्सिया, कट्ठ- निस्सिया, गोमय- निस्सिया, कयवर- निस्सिया। संति संपातिमा पाणा, आहच्च संपयंति य। अगणिं च खलु पुट्ठा, एगे संघायमावज्जंति। जे तत्थ संघायमावज्जंति, ते तत्थ परियावज्जंति। जे तत्थ परियावज्जंति, ते तत्थ उद्दायंति। | ||
Sutra Meaning : | मैं कहता हूँ – बहुत से प्राणी – पृथ्वी, तृण, पत्र, काष्ठ, गोबर और कूड़ा – कचरा आदि के आश्रित रहते हैं। कुछ सँपातिम प्राणी होते हैं जो उड़ते – उड़ते नीचे गिर जाते हैं। ये प्राणी अग्नि का स्पर्श पाकर संघात को प्राप्त होते हैं। शरीर का संघात होने पर अग्नि की उष्मा से मूर्च्छित हो जाते हैं। बाद में मृत्यु को प्राप्त हो जाते हैं। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] se bemi– appege amdhamabbhe, appege amdhamachchhe. Appege payamabbhe, appege payamachchhe.(java) Appege sampamarae, appege uddavae. Se bemi– samti pana pudhavi- nissiya, tana- nissiya, patta- nissiya, kattha- nissiya, gomaya- nissiya, kayavara- nissiya. Samti sampatima pana, ahachcha sampayamti ya. Aganim cha khalu puttha, ege samghayamavajjamti. Je tattha samghayamavajjamti, te tattha pariyavajjamti. Je tattha pariyavajjamti, te tattha uddayamti. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Maim kahata hum – bahuta se prani – prithvi, trina, patra, kashtha, gobara aura kura – kachara adi ke ashrita rahate haim. Kuchha sampatima prani hote haim jo urate – urate niche gira jate haim. Ye prani agni ka sparsha pakara samghata ko prapta hote haim. Sharira ka samghata hone para agni ki ushma se murchchhita ho jate haim. Bada mem mrityu ko prapta ho jate haim. |