Sutra Navigation: Acharang ( आचारांग सूत्र )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 1000034 | ||
Scripture Name( English ): | Acharang | Translated Scripture Name : | आचारांग सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
श्रुतस्कंध-१ अध्ययन-१ शस्त्र परिज्ञा |
Translated Chapter : |
श्रुतस्कंध-१ अध्ययन-१ शस्त्र परिज्ञा |
Section : | उद्देशक-४ अग्निकाय | Translated Section : | उद्देशक-४ अग्निकाय |
Sutra Number : | 34 | Category : | Ang-01 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] वीरेहिं एयं अभिभूय दिट्ठं, संजतेहिं सया जतेहिं सया अप्पमत्तेहिं। | ||
Sutra Meaning : | वीरों ने, ज्ञान – दर्शनावरण आदि कर्मों को विजय कर यह (संयम का पूर्ण स्वरूप) देखा है। वे वीर संयमी, सदा यतनाशील और सदा अप्रमत्त रहने वाले थे। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] virehim eyam abhibhuya dittham, samjatehim saya jatehim saya appamattehim. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Virom ne, jnyana – darshanavarana adi karmom ko vijaya kara yaha (samyama ka purna svarupa) dekha hai. Ve vira samyami, sada yatanashila aura sada apramatta rahane vale the. |