Sutra Navigation: Acharang ( आचारांग सूत्र )
Search Details
Mool File Details |
|
Anuvad File Details |
|
Sr No : | 1000033 | ||
Scripture Name( English ): | Acharang | Translated Scripture Name : | आचारांग सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
श्रुतस्कंध-१ अध्ययन-१ शस्त्र परिज्ञा |
Translated Chapter : |
श्रुतस्कंध-१ अध्ययन-१ शस्त्र परिज्ञा |
Section : | उद्देशक-४ अग्निकाय | Translated Section : | उद्देशक-४ अग्निकाय |
Sutra Number : | 33 | Category : | Ang-01 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] जे दीहलोग-सत्थस्स खेयण्णे, से असत्थस्स खेयण्णे। जे असत्थस्स खेयण्णे, से दीहलोग-सत्थस्स खेयण्णे। | ||
Sutra Meaning : | जो दीर्घलोकशस्त्र (अग्निकाय) के स्वरूप को जानता है, वह अशस्त्र (संयम) का स्वरूप भी जानता है। जो संयम का स्वरूप जानता है वह दीर्घलोक – शस्त्र का स्वरूप भी जानता है। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] je dihaloga-satthassa kheyanne, se asatthassa kheyanne. Je asatthassa kheyanne, se dihaloga-satthassa kheyanne. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Jo dirghalokashastra (agnikaya) ke svarupa ko janata hai, vaha ashastra (samyama) ka svarupa bhi janata hai. Jo samyama ka svarupa janata hai vaha dirghaloka – shastra ka svarupa bhi janata hai. |