Sutra Navigation: Acharang ( आचारांग सूत्र )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 1000014 | ||
Scripture Name( English ): | Acharang | Translated Scripture Name : | आचारांग सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
श्रुतस्कंध-१ अध्ययन-१ शस्त्र परिज्ञा |
Translated Chapter : |
श्रुतस्कंध-१ अध्ययन-१ शस्त्र परिज्ञा |
Section : | उद्देशक-२ पृथ्वीकाय | Translated Section : | उद्देशक-२ पृथ्वीकाय |
Sutra Number : | 14 | Category : | Ang-01 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] अट्टे लोए परिजुण्णे, दुस्संबोहे अविजाणए। अस्सिं लोए पव्वहिए। तत्थ तत्थ पुढो पास, आतुरा परितावेंति। | ||
Sutra Meaning : | जो मनुष्य आतै है, वह ज्ञान दर्शन से परिजीर्ण रहता है। क्योंकि वह अज्ञानी जो है। अज्ञानी मनुष्य इस लोक में व्यथा – पीड़ा का अनुभव करता है। काम, भोग व सुख के लिए आतुर बने प्राणी स्थान – स्थान पर पृथ्वीकाय आदि प्राणियों को परिताप देते रहते हैं। यह तू देख ! समझ ! | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] atte loe parijunne, dussambohe avijanae. Assim loe pavvahie. Tattha tattha pudho pasa, atura paritavemti. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Jo manushya atai hai, vaha jnyana darshana se parijirna rahata hai. Kyomki vaha ajnyani jo hai. Ajnyani manushya isa loka mem vyatha – pira ka anubhava karata hai. Kama, bhoga va sukha ke lie atura bane prani sthana – sthana para prithvikaya adi praniyom ko paritapa dete rahate haim. Yaha tu dekha ! Samajha ! |